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कानपुर हिंसा को लेकर हुआ चौंकाने वाला खुलासा- बच्चों को बिरयानी खिलाकर और पैसे देकर कराई गई पत्थरबाजी

●पुलिस की जांच में ये बात भी सामने आई है कि बच्चों को हिंसा में पथराव और बमबाजी करने के लिए सीधे तौर पर पैसे नहीं दिए थे। इलाके में काफी लोग ऐसे थे जिन्होंने बच्चों में पैसे बंटवाए।
लखनऊ/कानपुर: उत्तर प्रदेश के कानपुर जिले में 3 जून को हुई हिंसा को लेकर चौंकाने वाला खुलासा हुआ है। दरअसल, यह पता लगा है कि इस दिन हुई हिंसा में बच्चों ने भी काफी पथराव और बमबाजी की थी। सोशल मीडिया पर वायरल हुई फोटो और वीडियो व सामने आई CCTV फुटेज से इस बात की पुष्टि हुई है। वहीं, जब पुलिस ने राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (NCPCR) के आदेश पर शुरू की तो काफी चौंकाने वाले खुलासे हुए।
अब पुलिस को जांच में ये पता चला है कि हिंसा के लिए बच्चों को पैसे दिए गए थे। यही नहीं, उन्हें हिंसा से पहले कई बार बिरयानी भी खिलाई गई थी। मजहबी कट्‌टरता का पाठ भी बच्चों को दिया गया था। बताते चलें कि आतंकवादी ऐसा कश्मीर में पत्थरबाजी करने के लिए करते रहे हैं। ऐसे में अब पुलिस की रडार पर इलाके के मदरसे में पढ़ने वाले बच्चे भी आ गए हैं।
पुलिस की जांच में ये बात भी सामने आई है कि बच्चों को हिंसा में पथराव और बमबाजी करने के लिए सीधे तौर पर पैसे नहीं दिए थे। उन तक पैसे पहुंचाने के लिए एक चैनल बनाया गया। इन अलग-अलग चैनल के जरिए बच्चों तक फंड पहुंचे। इसका मतलब ये हुआ कि इलाके में काफी लोग ऐसे थे जिन्होंने बच्चों में पैसे बंटवाए। पुलिस की जांच में पता चला कि हिंसा के लिए बच्चे तय समय पर सड़कों पर पत्थर लेकर उतारे थे और उन्होंने जमकर पथराव किया।
पुलिस की जांच में पता चला है कि हिंसा के लिए बच्चों का इस्तेमाल इसलिए किया गया क्योंकि इन पर पुलिस कड़ी कार्रवाई नहीं कर सकती है। यही नहीं, बच्चों से कोई भी काम आसानी से कराया भी जा सकता है। इसके अलावा पूछताछ के दौरान बच्चों से पुलिस ज्यादा सख्ती से भी पेश नहीं आ सकती है। ऐसे में बच्चे हमेशा ही हिंसा के लिए सॉफ्ट टारगेट होते हैं। यही कारण है हिंसा के लिए बच्चों को उकसाया गया।
मालूम हो, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा उपद्रवियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने के निर्देश के बाद प्रशासन ने कानपुर में तीन जून को हुई हिंसा में शामिल लोगों की संपत्तियों को जब्त (सील) करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। एक अधिकारी ने यह जानकारी दी। संयुक्त पुलिस आयुक्त (क़ानून-व्यवस्था) आनन्द प्रकाश तिवारी ने रविवार को बताया कि कानपुर पुलिस ने विभिन्न क्षेत्रों में तीन संपत्ति को सील कर दिया है।
कानपुर विकास प्राधिकरण (केडीए) के उपाध्यक्ष अरविंद सिंह ने कहा कि हाजी वासी, शबी, सलीम और एचएस मलिक द्वारा प्राधिकरण से उचित मंज़ूरी के बिना अवैध रूप से बनाई गई संपत्ति को सील कर दिया गया है। अधिकारी ने आरोप लगाया कि हाजी वासी, शबी, सलीम और एचएस मलिक ने कानपुर हिंसा के कुछ आरोपियों को वित्तीय सहायता प्रदान की। जब्त की गई संपत्ति की निगरानी का जिम्मा संबंधित थाना प्रभारी (एसएचओ) को सौंप दिया गया है।
उन्होंने कहा, "आयुक्त से अनुरोध किया गया है कि अगर कोई सीलबंद संपत्ति में प्रवेश कर निर्माण करता है तो एसएचओ को संबंधित धाराओं के तहत प्राथमिकी दर्ज करने का निर्देश दें।" तीन जून को भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की निलंबित प्रवक्ता नूपुर शर्मा की आपत्तिजनक टिप्पणियों के खिलाफ बुलाए गए विरोध प्रदर्शन के दौरान कानपुर में हिंसा भड़क गई थी। पुलिस ने घटना को लेकर तीन प्राथमिकी दर्ज की है और दो मास्टरमाइंड समेत 50 से ज्यादा लोगों को इस मामले में गिरफ्तार किया है।


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