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एक वोट एक करोड़ रुपए का: पंचायत अध्यक्ष पद के लिए जोड़-तोड़, अब तक के सबसे महंगे होंगे चुनाव, पार्टियों ने शुरू की निगरानी

    उत्तर प्रदेश के पंचायत चुनावों में निर्दलीयों के दबदबे के बाद जिला पंचायत अध्यक्ष व ब्लाक प्रमुखों के चुनाव बेहद मंहगे होने की संभावना है।जिलों में जीते सदस्यों के बीच ‘वोट के बदले नोट’ की चर्चा शुरू हो गई है। छोटे जिलों में भी जिला पंचायत अध्यक्ष बनने के लिए प्रति जिला पंचायत सदस्य (डीडीसी) 50 लाख से एक करोड़ रुपए तक खर्च का अनुमान है।प्रदेश के 60 से अधिक जिलों में जिला पंचायत अध्यक्ष पद के लिए निर्दलीय सदस्यों का समर्थन निर्णायक है। जबकि ब्लाक प्रमुख के लिए प्रति वोट औसतन 3 लाख रुपए ‘रेट’ बताया जा रहा है। जीत का प्रमाण पत्र मिलने के बाद से ही राजनीतिक दलों ने अपने जिला पंचायत सदस्यों की पहरेदारी शुरू कर दी है।

पूर्व जज सीबी पांडेय कहते हैं, ‘पंचायत अध्यक्ष और ब्लाक प्रमुख के निर्वाचन में पैसे देकर वोट खरीदने की परंपरा है। इसको सरकार का हस्तक्षेप भी नही रोक पाएगा। इसीलिए जिला पंचायत अध्यक्ष के लिए आर्थिक रूप से मजबूत उम्मीवार ही उतारा जाता है। जिला पंचायत के जरिए होने वाले विकास कार्यों में अध्यक्ष, छह प्रतिशत या इससे अधिक ‘कट-मनी’ लेता है। लेकिन अध्यक्ष पद का चुनाव प्रतिष्ठा का अधिक है।

यदि दो मजबूत धनी दावेदार होते हैं तो रेट बढ़ता जाता है। ठीक नीलामी की बोली की तरह। पंचायत में यह पंरपरा भ्रष्टाचार का सबसे बड़ा कारण है।’ दूसरी ओर, डीडीसी में सपा से पिछड़ने के बाद भाजपा प्रदेश में ज्यादा से ज्यादा जिलों में अपना अध्यक्ष निर्वाचित करा कर बेहतर संदेश देना चाहती है।

2015 में सपा सरकार के दौर में 62 जिलों में जिला पंचायत अध्यक्ष पर पर कब्जा किया था। भाजपा, सपा के आंकड़े से आगे निकलना चाहती है। सत्तारूढ़ दल के सांसद व विधायक चाहते है कि जिला पंचायत अध्यक्ष के चुनाव जल्दी से जल्दी हो जाएं। देर होने पर सदस्यों की कीमतें बढ़ती जाएंगी।
*20 से 27 तक चुनाव का प्रस्ताव तैयार*
पंचायती राज विभाग ने जिला पंचायत अध्यक्षों व क्षेत्र पंचायत प्रमुखों के चुनाव 20 से 27 मई के बीच कराने का प्रस्ताव तैयार किया है। ब्लॉक प्रमुख के चुनाव पहले ही 14 से 17 मई के बीच कराने की योजना है। हाईकोर्ट के आदेश से हुए पंचायत चुनाव को 30 मई तक पूरा करना है। कोरोना को देखते हुए प्रदेश सरकार हाईकोर्ट से अध्यक्ष व ब्लॉक प्रमुख के चुनाव कुछ दिन टालने का अनुरोध भी कर सकती है।
*गिफ्ट में स्कोर्पियो और बुलेरो का ऑफर*
डीडीसी के परिणाम आने के साथ ही अध्यक्ष पद के दावेदारों ने कोशिशें शुरू कर दी है। कुछ जिलों में भावी उम्मीदवारों ने डीडीसी को शुरुआती गिफ्ट में स्कॉर्पियो व बलेरो जैसी गाड़ियां देने की पेशकश की है। प्रतिष्ठा के प्रतीक इन चुनाव में बेहिसाब खर्च पर कोरोना की महामारी का भी कोई असर नहीं है। यदि किसी जिले में 45 डीडीसी सदस्य हैं, तो अध्यक्ष बनने के लिए 23 सदस्यों का समर्थन चाहिए। प्रति डीडीसी एक करोड़ के हिसाब से 23 करोड़ का खर्च हो सकता है। लेकिन यह मौजूदा प्रत्याशियों की क्षमता के मुताबिक घट-बढ़ भी सकता है।


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