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थाना दिवस पर नहीं पहुंचे सगड़ी तहसील के राजस्व कर्मी, फरियादिओं के हाथ लगी निराशा पुलिस ने पूरी की कार्यवाही

 महराजगंज आजमगढ़ - थाना दिवस पर नहीं पहुंचे सगड़ी तहसील के राजस्व कर्मी, फरियादिओं के हाथ लगी निराशा पुलिस ने पूरी की कार्यवाही बतादेंकि भारतीय संविधान के द्वारा स्थापित लोकतान्त्रिक व्यवस्था उस वक्त सवालों के घेरे मे आ जाता है जब अभिव्यक्ति और आंदोलन के नाम पर लोकतंत्र की आत्मा कही जाने वाली जनता के अधिकार एवं हितों को ताख पर रखकर संविधान के अनुच्छेदों का लाभ उठाने वाले कोई कोर कसर नहीं छोड़ते | ऐसा ही मामला इन दिनों सगड़ी तहसील मे देखने को मिला |जहाँ अधिवक्ताओं और तहसील राजस्व कर्मचारिओं के बीच चल रही आमने सामने की लड़ाई से उत्पन्न हुई है | बतादें कि इस शनिवार थाना दिवस के अवसर पर सगड़ी तहसील के लेखपाल, कानूनगो तहसील पर चल रहे धरने के कारण थाने पर पहुंचे ही नहीं |थाना दिवस पर केवल पुलिस के अधिकारी व कर्मचारी ही फरियादिओं की फरियाद सुनते रहे | परन्तु निदान के नाम पर उनको अगले समाधान दिवस की तारीख ही मिली और फरियादी निराश हो अपनी समस्याओं का बोझ लिए हताश नज़र आये | सरकार की जनता के लिए बनायीं गयी यह व्यवस्था संविधान के अनुच्छेद के आगे बौना हुआ नज़र आया |जबकि संविधान भी जनता द्वारा जनता के लिए बनाया गया एक आदर्श नैतिक व्यवस्था है | जो एक स्वस्थ्य और सभ्य समाज की रचना के उद्देश्य का परिचायक है |परन्तु इसे आदर्श बनाने की जिम्मेदारी जिसपर है यदि वही इसका लाभ लेते हुए लोकतंत्र की आत्मा को लहुलुहान करें तो सवाल खड़ा करना जरुरी हो जाता है |अब देखना यह है कि लोकतंत्र के मंदिर मे बैठने वालों की नींद इस विषय पर कब खुलती है और लोकतंत्र के स्वामी जनता का हित सर्वोपरि कब रखा जाता है |


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