Latest News / ताज़ातरीन खबरें

विश्व एड्स दिवस 1 दिसंबर पर विशेष चाइल्ड केयर क्लिनिक सिधारी के ...

आज़मगढ़ : विश्व एड्स दिवस 1 दिसंबर पर विशेष
चाइल्ड केयर क्लिनिक सिधारी के सभागार में अनौपचारिक बातचीत में शिशु व बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. डी.डी. सिंह ने बताया कि आज विश्व एड्स दिवस है। एड्स एक खतरनाक बीमारी है, मूलतः असुरक्षित यौन संबंध बनाने से एड्स के जीवाणु शरीर में प्रवेश कर जाते हैं। इस बीमारी का काफी देर बाद पता चलता है और मरीज भी एचआईवी टेस्ट के प्रति सजग नहीं रहते, इसलिए अन्य बीमारी का भ्रम बना रहता है।
विश्व एड्स दिवस के लिए इस वर्ष की थीम है- ‘असमानताओं को समाप्त करें, एड्स का अंत करें.’ वर्ष 2008 के बाद, प्रत्येक वर्ष की थीम को विश्व एड्स अभियान (डब्ल्यूएसी) की ग्लोबल स्टीयरिंग कमेटी द्वारा चुना जाता है.
एड्स का पूरा नाम है 'एक्वायर्ड इम्यूनो डिफिशिएंसी सिंड्रोम।' न्यूयॉर्क में 1981 में इसके बारे में पहली बार पता चला, जब कुछ ''समलिंगी यौन क्रिया'' के शौकीन अपना इलाज कराने डॉक्टर के पास गए।
इलाज के बाद भी रोग ज्यों का त्यों रहा और रोगी बच नहीं पाए, तो डॉक्टरों ने परीक्षण कर देखा कि इनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता खत्म हो चुकी थी। फिर इसके ऊपर शोध हुए, तब तक यह कई देशों में जबरदस्त रूप से फैल चुकी थी और इसे नाम दिया गया ''एक्वायर्ड इम्यूनो डिफिशिएंसी सिंड्रोम'' यानी एड्स।
- ए यानी एक्वायर्ड यानी यह रोग किसी दूसरे व्यक्ति से लगता है।
- आईडी यानी इम्यूनो डिफिशिएंसी यानी यह शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता समाप्त कर देता है।
- एस यानी सिण्ड्रोम यानी यह बीमारी कई तरह के लक्षणों से पहचानी जाती है।
विश्व में ढाई करोड़ लोग अब तक इस बीमारी से मर चुके हैं और करोड़ों अभी इसके प्रभाव में हैं। अफ्रीका पहले नम्बर पर है, जहाँ एड्स रोगी सबसे ज्यादा हैं। भारत दूसरे स्थान पर है। भारत में अभी 1.25 लाख मरीज हैं, प्रतिदिन इनकी सँख्या बढ़ती जा रही है। भारत में पहला एड्स मरीज 1986 में मद्रास में पाया गया।

एड्स वायरस की जानकारी:
यह रेट्रो वायरस ग्रुप का एक विचित्र वायरस है, यह आरएनए के दो स्टैंडों से युक्त होता है, जो रिवर्स टासक्रिपटेज की सहायता है डबल स्टैंड डीएनए में परिवर्तित हो जाता है और फिर कोशिकाओं के डीएनए में हमेशा के लिए सुप्तावस्था में पड़ा रहता है।
एचआईवी वायरस के शरीर में प्रवेश करने, शरीर में सुप्तावस्था में रहने की क्रिया, एचआईवी संक्रमण कहलाती है, इस अवस्था में इंफेक्शन तो होता है, किन्तु बीमारी के लक्षण नहीं होते। संक्रमण को बीमारी की अवस्था में पहुंचने में 15 से 20 वर्ष लगते हैं।
कई वर्षों बाद यह मानव शरीर में पड़ा रहता है और अपनी संख्या बढ़ाता रहता है, दूसरी ओर मावन शरीर की रोग प्रतिरोधक शक्ति खत्म करता जाता है।
जब रोग प्रतिरोधक शक्ति खत्म हो जाती है तो फिर यह जागता है और अपना आक्रमण शुरू करता है। साथ ही शुरू होता है वह समय, जब मरीज धीरे-धीरे मौत की ओर जाने लगता है। मरीज की मौत के साथ ही यह संबंधित के शरीर से समाप्त होता है।

एड्स फैलने के कारण:
असुरक्षित यौन संबंध इसका सबसे प्रमुख कारण है, इससे एड्स के वायरस एड्स ग्रस्त व्यक्ति से स्वस्थ व्यक्ति में तुरंत प्रवेश कर जाते हैं।
बिना जाँच का खून मरीज को देना भी एड्स फैलाने का माध्य होता है। खून के द्वारा इसके वायरस सीधे खून में पहुँच जाते हैं और बीमारी जल्दी घेर लेती है। आज एड्स जाँच केन्द्र देश के गिने-चुने स्थानों पर ही हैं, कितने लोग अपना टेस्ट कराकर खून दान करते होंगे?
नशीले पदार्थ लेने वाले लोग भी एड्स ग्रस्त होते हैं, वे एक-दूसरे की सिरींज-निडिल वापरते हैं, उनमें कई एड्स पीड़ित होते हैं और बीमारी फैलाते हैं।
यदि माँ संक्रमित है एड्स से, तो होने वाला शिशु भी संक्रमित ही पैदा होता है। इस प्रकार ट्रांसप्लांटेशन संक्रमण से भी एड्स लगभग 60 प्रतिशत तक फैलता है। बाकी बचा 40 प्रतिशत माँ के दूध से शिशु में पहुँच जाता है।

एड्स के लक्षण:
एड्स के कोई खास लक्षण नहीं होते, सामान्यतः अन्य बीमारियों में होने वाले लक्षण ही होते हैं, जैसे- वजन में कमी होना, 30-35 दिन से ज्यादा डायरिया रहना, लगातार बुखार बना रहना प्रमुख लक्षण होते हैं।
एचआईवी नामक विषाणु सीधे श्वेत कोशिकाओं पर आक्रमण कर शरीर के अंतस्थ में उपस्थित आनुवंशिक तत्व डीएनए में प्रवेश कर जाता है, जहाँ इनमें गुणात्मक वृद्धि होती है। इन विषाणुओं की बढ़ी हुई संख्या दूसरी श्वेत कणिकाओं पर आक्रमण करती है।
इससे धीरे-धीरे इन श्वेत कोशिकाओं की संख्या घटती जाती है। इसके फलस्वरूप शरीर का प्रतिरोधी तंत्र नष्ट हो जाता है और दूसरे संक्रामक रोगों से बचाव की क्षमता भी क्षीण हो जाती है।


Leave a comment

Educations

Sports

Entertainment

Lucknow

Azamgarh