औरतें बेहोश हो गईं...थानेदार बेल्ट से करता रहा पिटाई सीने पर भी चोट के निशान... अब केस वापस लेने की मिल रही धमकियां
मथुरा। दोपहर के 1 बजे रहे थे। रुक-रुककर बारिश हो रही थी। सुबह-सुबह घर में लड़कर पति और देवर थाने चले गए, लेकिन दोपहर तक नहीं लौटे। उनकी चिंता में दिल बैठा जा रहा था। इंतजार करते-करते आधा दिन बीत गया तो मैं अपनी देवरानी और पड़ोस की 3 महिलाओं को लेकर थाने पहुंची। वहां देखा कि बड़े दरोगा उनको और देवर जी को कुर्सी के पास बिठाए हुए थे। दोनों डरे हुए थे, मानो उन्हें मारा गया हो।"
हमने थानेदार से पति को हिरासत में लेने की वजह पूछी, तो वह गुस्सा गए। कुर्सी छोड़कर खड़े हो गए, हमें गंदी-गंदी गाली देने लगे। वह यहीं नहीं रुके। उन्होंने थाने की महिला सिपाही और मुंशी को बुलाया। कहा- इन औरतों को अंदर कमरे में बंद कर दो। 10 मिनट बाद थानेदार फिर हमारे सामने आए...कहने लगे कि तुम लोगों के बहुत ज्यादा गर्मी चढ़ गई है। सारी उतारनी पड़ेगी। इतना कहते हुए उन्होंने मुंशी से एक मोटे बेल्ट वाला पट्टा मंगवाया। फिर बारी-बारी उसी बेल्ट से हमें खूब मारा।"
"महिला सिपाही हमें पकड़ी थी। थानेदार-मुंशी 1 घंटे तक लगातार हमें मारते रहे। दोनों ने मेरी पड़ोसी अन्नपूर्णा और राजकुमारी को इतना मारा कि वह बेहोश हो गईं। बेहोशी की हालत में उनके चेहरे पर पानी मारा गया। होश आने पर फिर बेल्ट से पिटाई हुई। शाम तक शरीर का कोई हिस्सा ऐसा नहीं बचा था जिस पर बेल्ट के निशान न हों।"
ये शब्द 28 साल की लक्ष्मी के हैं, जिसे 16 दिन पहले 4 अन्य महिलाओं के साथ थाने में पीटा गया। पिटाई के बाद परिवार वाले उन्हें किसी तरह घर ले गए, इलाज करवाया। 16 दिन बाद महिलाओं का दर्द तो कम हो गया, लेकिन बेल्ट की मार से बने घाव अब तक मिटे नहीं। महिलाओं की पिटाई के बाद DM और SP से शिकायत की गई तो कार्रवाई हुई। थानेदार सहित 3 पुलिसकर्मियों को सस्पेंड कर दिया गया। लेकिन अब पीड़ित परिवार को शिकायत वापस लेने की धमकियां मिल रही हैं।
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