घर में ही प्रधान, ब्लॉक प्रमुख और विधायक, अब परिवार से ही सांसद बनाने की लालसा
हरदोई। एक शीतल पेय पदार्थ का प्रचार करने के लिए एक टैग लाइन का इस्तेमाल कुछ वर्ष पहले किया जाता था। यह टैग लाइन थी... यह दिल मांगे मोर। राजनीति का हाल भी कुछ ऐसा ही है। ग्राम प्रधान से लेकर विधायक तक का पद परिवार में ही है, लेकिन सांसद का पद भी परिवार में लाने की चाहत जब तब कुलांचे मारने लगती है। खुद लोकसभा चुनाव लड़ चुके हैं, लेकिन इस बार भी बेटे के लिए टिकट मांगने से नहीं चूके। हरदोई में नए साल और उससे पहले तमाम मौकों पर दावेदारी जताते हुए बेटे की शुभकामनाओं वाली होर्डिग्स भी नजर में आईं, लेकिन प्रत्याशी घोषित होने के बाद अब एकजुट होकर पार्टी को जिताने में लगे हैं। बात हो रही है गोपामऊ से भाजपा विधायक श्याम प्रकाश के परिवार की। सियासी करियर में वर्ष 2022 में पांचरीं बार विधायक चुने गए श्याम प्रकाश गोपामऊ विधानसभा क्षेत्र से लगातार तीसरी बार विधायक हैं। श्याम प्रकाश को राजनीति विरासत में मिली है बल्कि विरासत में मिली राजनीति को श्याम प्रकाश ने और अधिक सफल बनाया है। श्याम प्रकाश के पिता बाबू झम्मन लाल कई बार जिला पंचायत के सदस्य रहने के साथ ही पैतृक ग्राम पंचायत भड़ायल के प्रधान भी रहे। श्याम प्रकाश के परिवार में अधिकांश प्रमुख पद हैं। श्याम प्रकाश खुद विधायक हैं।
उनकी पत्नी शशि वर्मा भड़ायल की ग्राम प्रधान हैं। बड़ा बेटा रवि प्रकाश टड़ियावां का ब्लॉक प्रमुख है, तो छोटा बेटा अभिजीत प्रकाश और बड़े बेटे की पत्नी लवी वर्मा क्षेत्र पंचायत की सदस्य भी हैं। श्याम प्रकाश खुद दो बार लोकसभा का चुनाव लड़ चुके हैं। बेटे को सांसद बनाने की ख्वाहिश उनमें अब भी है।
लोकसभा चुनाव के लिए रवि प्रकाश ने दावेदारी भी की थी, लेकिन पार्टी ने मौजूदा सांसद जय प्रकाश पर ही भरोसा जताया। इसके बाद अब श्याम प्रकाश का पूरा कुनबा पार्टी के प्रत्याशी को जिताने की कवायद में लगा है।
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