जिस मां के बेटे सीआरपीएफ में हो लेखपाल हो व राजस्व अधिकारी हो उनकी बूढ़ी मां को रहने के चार गज का कमरा भी मयस्सर नही है, यूपी में इससे ज्यादा गलत बात कुछ हो ही नही सकता
जिस मां के बेटे सीआरपीएफ में हो लेखपाल हो व राजस्व अधिकारी हो उनकी बूढ़ी मां को रहने के चार गज का कमरा भी मयस्सर नही है,,
यूपी में इससे ज्यादा गलत बात कुछ हो ही नही सकता !!
जिस खुशी की आस में एक बूढ़ी माँ ने अपने गरीबी के फ़टी चद्दर से बच्चों को होनहार होने का सपना देखा था ,
उसी मां को दो गज कमरा देने से इनकार कर दिया था,,
उनके सभी सरकारी बेटों ने मकान बाटने का झगड़ा थाने में ले आया
हम बात कर रहे है आजमगढ़ फूलपुर के एसएसबी में पोस्टेड दिनेश पासवान शेखपुर पिपरी निवासी की,
लोग कहते जवान का दिमांक उंसके घुटने में होता हैं।
ये बात इन सीआरपीएफ व एसएसबी के परिवार के जवान के ऊपर फिट बैठता हैं जो आजमगढ़ पिपरी अम्बारी निवासी है
दो बेटे सीआरपीएफ और एसएसबी में है एक बेटा राजस्व विभाग में है लेखपाल हैं एक बेटा कोलकाता में नॉकरी करता हैं
ऐसे लोगो की माँ को रहने के लिए दो गज का एक कमरा भी नसीब नही है ,
धन्य हैं ऐसे बेटो पर जो अपनी ही बीबी के चक्कर मे बढ़ी को घर निकाला का प्लान बना दिया हैं ,
वही पर राजस्व अधिकारी लेखपाल की बीबी सोने का हार पहनती है उसका पति लेखपाल खुद को गरीब बता रहा है
वही पर बढ़ी मां ने उन चारों नालायक बेटो की माँ ने गले से काला धागा दिखाया,
कहा कि हम तो अपने बेटों से कभी चैन भी नही मांगा जो हमारा सुख चैन छीन रही हैं इनकी बीबियां हमने अपनी पूरी जिंदगी इन लोगो से काला धागा भी नही मांगा हैं ,
विवाद को बढ़ता हुआ देख थाना फूलपुर अम्बारी चौकी इंचार्ज राजेन्द्र प्रसाद सिंह ने
उनकी बढ़ी मा को कमरा दिलाने के लिए कई घंटे तक चौपाल लगा कर
बूढ़ी मा को इंसाफ दिलाने में कामयाब रहे। उस मां कीतरफ से आवाज आई आप सर हमेसा ऐसे ही फैसला करते रहिए सदा सुखी रहेंगे ,
लेकिन बहुओ के डर से घर जाने से डर रही हैं बूढ़ी मां
थाना प्रभारी ने इस बढ़ी मा को भरोशा दिलाया जाइये कुछ भी गड़बड़ होगा तो हम हैं सिर्फ एक कॉल करवा दीजिएगा हम हाजिर हो जाएंगे,
वही पर राजेन्द्र सिंह ने अपने बनारसी होने व संस्कृति को बताते हुए उन सभी लोगो का दिल जीतने में कामयाब रहे बल्कि
सभी झगड़े खत्म कर घर भेजा,
सीआरपीएफ के अड़ियल रवैये को भी समझदारी नरम कर के इमोशनल कर के उस टूटे परिवार को एक धागे में जोड़कर घर भेज दिया।
अगर उत्तर प्रदेश की पुलिस हमेसा अपनी सुच बुझ का परिचय हमेशा देती रहे तो लोगो का परिवार का विवाद चुटकी में खत्म हो सकता हैं
राजेन्द्र सिंह दरोगा हमेसा सभी थानों को नसीब नही होते।
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