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किसान का बेटा बना आईएस ऑफिसर,आइये आज जानते हैं कि मंजिल तक पहुंचने के लिए क्या...

किसी भी इंसान को सफल बनने के लिए जरूरी है कि वो अपने काम को मेहनत और लगन के साथ करता रहे, यही वजह है कि देश की सबसे कठिन परीक्षा यूपीएससी को पास करने के लिए ज्ञान और धैर्य जैसे मापदंड तय किए जाते हैं,
  एक गरीब किसान के बेटे नवजीवन ने भी यूपीएससी की परीक्षा मेहनत और लगन से पास की. इस परीक्षा की तैयारी के दौरान आने वाली कठिनाईयों को दरकिनार कर वो यूपीएससी की तैयारी करने वाले लाखों छात्रों के प्रेरणास्रोत बन चुके हैं. गरीब किसान परिवार से ताल्लुक रखने वाले नवजीवन ने पढ़ाई के दौरान कभी भी अपनी परिस्थितयों को आगे नहीं आने दिया. मुसीबतों और असफलताओं से उन्होंने कभी हार नहीं मानी और मेहनत व लगन के साथ पढ़ाई की. इसका नतीजा ये रहा कि उन्होंने 2018 में यूपीएससी परीक्षा में 316वीं रैंक हासिल की ।
  गांव के स्कूल में की शुरूआती पढ़ाई
उनके पिता किसान हैं जो मधुशाला महाराष्ट्र के एक छोटे से गांव में खेती-बाड़ी का काम करते हैं. नवजीवन ने अपनी . इस दौरान उन्होंने अपनी बेसिक शिक्षा की पढ़ाई को काफी मजबूत कर लिया था. नवजीवन बचपन से ही पढ़ने में ठीक थे. पिता को लगा कि बेटा पढ़ाई करना चाह रहा है तो उन्होंने दिल्ली में यूपीएससी की पढ़ाई करने की सलाह दी.पिता की सलाह मानकर उन्होंने दिल्ली आने का फैसला किया और पिता को भरोसा दिलाया की वो दिन-रात मेहनत से पढ़ाई करेंगे. नवजीवन बताते हैं कि उन्हें गांव में इस परीक्षा की असफलता और कंप्टीशन का सही अंदाजा नहीं था. दिल्ली आकर उन्होंने कई विद्यार्थियों को असफल होता देखा. हालांकि इससे उनका हौसला पस्त होने की बजाय और प्रबल हुआ. उन्होंने सोचा की परीक्षा के लिए अगर सही तरीके से पढ़ाई की जाए तो सफलता पाई जा सकती है ।
    उन्होंने कोचिंग का सहारा लेकर दिल्ली में पढ़ाई शुरू कर दी. उन्होंने रात-दिन एक कर पढ़ाई की. उनकी इस मेहनत का नतीजा ये हुआ कि यूपीएससी की प्री-परीक्षा को बड़ी आसानी से निकाल लिया. हालांकि मेन्स की परीक्षा के दौरान उन्हें डेंगू बुखार हो गया,

आईसीयू में रहकर की यूपीएससी की तैयारी
बुखार इतना जबरदस्त हुआ कि उन्हें अस्पताल के (इन्टेंस्यू केयर यूनिट) आईसीयू में रखना पड़ा. डेंगू से जूझने के कारण उनकी पढ़ाई बुरी तरह प्रभावित हुई. मेन्स परीक्षा के लिए अब एक माह से भी कम समय बचा था. नवजीवन को बहुत दुख हुआ.इसके बाद उनके पिता ने उनका हौसला बढ़ाते हुए कहा कि जीवन में जब भी मुश्किल समय आए तो दो विकल्प रहते हैं. या तो मुश्किल हालातों का डटकर सामना करो या फिर कायरों की तरह वहां से भाग जाओ. पिता की बात नवजीवन समझ गए. इसके बाद उन्होंने दोस्तों और सीनियर्स की मदद से अस्पताल में ही पढ़ाई शुरू कर दी. अस्पताल के लोग नवजीवन की लगन को देखकर हैरान थे. अपने एक साक्षात्कार में उन्होंने बताया था कि मेन्स परीक्षा की ज्यादातर तैयारी अस्पताल में ही हुई थी।
उनकी इस मेहनत का असर ये हुआ की उन्होंने यूपीएससी की कठिन परीक्षा को पास कर लिया. गरीब किसान के इस बेटे ने लाखों यूपीएससी की तैयारी करने वाले छात्रों के लिए एक प्रेरणा के तौर पर काम किया है ।।


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