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मृत्युभोज के बहिष्कार में क्रांतिकारी परिवर्तन की लहर

आजमगढ़/अम्बारी : मानव मृत्योपरांत तेरहवीं जैसी परम्परा का आयोजन एक पुरानी परंपरा है। मनुष्य अज्ञानता में तेरहवीं का आयोजन करता आ रहा है परन्तु 22वीं शदी में शिक्षित और जागरूक वर्ग मृत्युभोज का बहिष्कार कर रहा है क्योंकि इसका मृत व्यक्ति का स्वर्ग और नर्क से कोई लेना देना नहीं होता है और न ही व्यक्ति को स्वर्ग और नर्क का किसी प्रकार की प्राप्ति होता है यह एक लोगों का भ्रम और मानसिक गुलामी है जो सामाजिक अभिषाप है तथा मानव द्वारा मानव के ऊपर थोपा गया एक बोझ है। मृत्युभोज करने के चक्कर में न जाने कितने गरीब परिवार जमीन,खेत और जेवरात तक गिरवी रख देते हैं । ऐसे में आज दिनाँक 13 अगस्त 2023 को डॉक्टर उदयभान यादव प्रवक्ता ( राजकीय महिला महाविद्यालय अम्बारी) ने तेरहवीं बहिष्कार की अनूठी पहल को आगे बढ़ाने के क्रम क्रांतिकारी पहल की है। क्षेत्र के सैकड़ों लोग शोक सभा में सामिल होकर वंशराज यादव की प्रतिमा पर पुष्प अर्पित कर उन्हें नमन किये। इसके पहले भी क्षेत्र में कई सम्मानित लोगों ने तेरहवीं जैसी कुप्रथा का बहिष्कार कर चुके हैं। क्षेत्र में सर्वप्रथम पूर्व सांसद रामकृष्ण यादव की मृत्योपरांत श्रधांजलि सभा का आयोजन किया का चुका है जो एक मिसाल बानी और समाज में सुधार की एक क्रांतिकारी लहर चल पड़ी।ऐसी पहल से समाज को सीख लेनी चाहिए और तेरहवीं जैसी कुप्रथा से मुक्ति पा लेना चाहिए। राजस्थान सरकार ने तेरहवीं करने पर पूर्ण से प्रतिबंधित पहले से ही लगा चुकी है तो उत्तर प्रदेश पूर्व मुख्यमंत्री व पूर्व रक्षामन्त्री मुलायम सिंह यादव के निधन पर तेरहवीं का बहिष्कार किया गया था जबकि सैफई व आस पास के गांवों में तो मृत्युभोज ही नहीं किया जाता। सर्वप्रथम परिवार के लोगों ने दीप प्रज्वलित कर श्रधांजलि सभा का शरुआत की। कई सम्मानित व गणमान्य लोगों ने तेरहवीं बहिष्कार पर अपनी बात भी रखी और तेरहवीं को इंसानों द्वारा इंसानों पर थोपा हुआ बोझ और कुप्रथा बताया।
इस अवसर पेरियार ललाई यादव,ज्योतिबा फुले, सावित्री बाई फुले, बी.आर.अम्बेडकर सहित तमाम समाज सुधारकों व शिक्षा के अलख जगाने वाले महापुरुषों के चित्र वितरण किया गया।


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