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पुलिस की लापरवाही से 22 साल जेल में रहने के बाद घर पहुंचे जयप्रकाश, वृद्ध पिता की नम हो गई आंखें

चंदौली। जम्मू की जेल में सजा काट रहे चंदौली के कमालपुर निवासी मुरली जायसवाल के पुत्र जयप्रकाश जायसवाल 22 साल बाद जमानत मिलने के बाद बुधवार की सुबह करीब 7.30 बजे घर लौट आए. उनके घर वापसी पर ग्राम प्रधान सुदामा जायसवाल सहित अन्य ग्रामीणों ने माला पहनाकर उनका भव्य स्वागत किया. वहीं उनको सकुशल देख उनके लकवाग्रस्त पिता की खुशी से आंखें नम हो गई. जमानत मिलने के बाद जम्मू जेल से सोमवार को उन्हें रिहा कर दिया गया था.
दरअसल, साल 2000 में चंदौली से ट्रेन में भूलवश चढ़कर जम्मू पहुंचे मानसिक रूप से बीमार जयप्रकाश को क्या पता था कि उन्हें अपने घर वापस जाने के लिए 22 वर्ष का लंबा इंतजार करना पड़ेगा. इस समय वे 62 वर्ष के हो गए हैं. जयप्रकाश जब जम्मू रेलवे स्टेशन पहुंचे थे, तो उनके पास से मिले बैग से पिस्तौल के 34 कारतूस मिले थे. इसके बाद रेलवे पुलिस ने जयप्रकाश को हिरासत में ले लिया था. पूछताछ में जयप्रकाश अपनी पहचान तक नहीं बता सके. इस कारण कभी कोर्ट में मामला नहीं चला
ऐसे में वह 22 वर्ष तक जेल में ही बंद रहे. अब कोर्ट की फटकार के बाद रेलवे पुलिस, जेल प्रशासन और कुछ वकीलों के सहयोग से जयप्रकाश की रिहाई संभव हो सकी. उसके बैग में किसने कारतूस रखे. इसका पता आज तक नहीं लग पाया. करीब 22 वर्ष पूर्व पिता के साथ आइसक्रीम बेच रहे जयप्रकाश गायब हो गए थे. परिजनों ने उनकी काफी खोजबीन की पर पता नहीं चला. वहीं बेटे की याद में तड़पती मां बीमार हो गई और उसकी मौत हो गई.
पिता को भी बेटे के गायब होने का गम सताता रहा। पिता मुरली भी लकवाग्रस्त हो गए। पिछले दिनों जम्मू जीआरपी प्रभारी की ओर से धीना थाने पर भेजी गई सूचना के आधार पर ग्राम प्रधान ने जम्मू पहुंच कर जयप्रकाश से मुलाकात की और उनकी जमानत के प्रयास में जुट गए. वकील इरफान खान ने जमानत की पैरवी शुरू की. बीते सोमवार को उनको जमानत मिल गई.


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