खोया हुआ जनाधार पाने के लिए मायावती का नया प्लान 9 अक्टूबर को सभी मंडलों में आयोजित किए जाएंगे कार्यक्रम
लखनऊ। बसपा यूपी की राजनीति में खोया हुआ जनाधार पाने के लिए दलितों व पिछड़ों को जोड़ने का अभियान चलाने जा रही है। इसके लिए कांशीराम का सहारा लिया जाएगा। उनके परिनिर्वाण दिवस के मौके पर 9 अक्तूबर को प्रदेश के सभी मंडलों में कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे और घर-घर उनकी गाथा बताई जाएगी। बसपा सुप्रीमो मायावती ने सेक्टर प्रभारियों से लेकर जिलाध्यक्षों को इस दिशा में काम शुरू करने का निर्देश दिया है।
यूपी की राजनीति में एक दौर ऐसा था कि जब बसपा का साथ पाने के लिए हर कोई ललायित रहता था। सियासत के केंद्र में हमेशा बसपा बनी रहती थी, लेकिन वर्ष 2012 के विधानसभा चुनाव के बाद बसपा का ग्राफ जो गिरना शुरू हुआ वह रुकने का नाम नहीं ले रहा है। विधानसभा चुनाव 2022 में तो बसपा को मात्र एक सीट पर ही संतोष करना पड़ा। बसपा सुप्रीमो ने हालांकि जीत के लिए जातीय समीकरण के सारे गुणा-गणित बैठाए, लेकिन वह सफल नहीं हो पाया। यूपी में नवंबर में निकाय चुनाव होना है। इसके बाद लोकसभा चुनाव वर्ष 2024 में होना है।
बसपा सुप्रीमो इसके लिए नए सिरे से समीकरण बैठना चाहती हैं। वह दलितों और पिछड़ों का वही पुराना साथ पाना चाहती हैं, जिसके सहारे वह वर्ष 2007 के विधानसभा चुनाव में पूर्ण बहुमत के साथ सत्ता में आई थीं। इसके लिए पार्टी में इन वर्ग के नेताओं को आगे किया जा रहा है। मेहनती और ईमानदारों की जिम्मेदारियां नए सिरे से तय की रही हैं। आने वाले दिनों में बसपा में कुछ और नए बदलाव होंगे। अगड़ों की जगह इन वर्ग के नेताओं को महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां दी जाएंगी। कांशीराम परिनिर्वाण दिवस के बाद डा. भीमराव अंबेडकर और जातीय धर्म गुरुओं की याद में कार्यक्रम चलाए जाएंगे। उनके लिए बनवाए गए पार्क और प्रेरणा स्थलों के बारे में गांव-गांव तक जानकारियां दी जाएंगी।
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