नोएडा में अब भी रिफंड की कतार में खड़े हैं यूनिटेक के 1089 घर खरीदार
यूनिटेक के 1089 घर खरीदार अब भी रिफंड की कतार में खड़े हैं। बिल्डर की ओर से खरीदारों को फ्लैट पर कब्जे और रिफंड का विकल्प चुनने को कहा गया था। चुनने की आखिरी तारीख 31 दिसंबर को समाप्त हो गई। अब 1089 खरीदार रिफंड का इंतजार कर रहे हैं। ऐसे में यूनिटेक बोर्ड पैसे वापसी समेत आगे की प्रक्रिया के लिए जल्द फैसला लेगा।
समय-सीमा बढ़ाने की अपील की गई
दरअसल, सुप्रीम कोर्ट के दिशानिदेर्शों के तहत अब तक 12,130 घर खरीदारों ने यूनिटेक के पोर्टल पर पंजीकरण कराया है। इनमें से 4576 खरीदारों ने 15 सितंबर 2017 और 21 सिंतबर 2017 के आदेशों के क्रम में पैसे रिफंड की इच्छा व्यक्त की थी। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट की ओर से 17 अगस्त 2021, तीन अगस्त 2023 और 31 मई 2024 के आदेशों के क्रम में 1954 घर खरीदारों ने रिफंड के बदले घरों पर कब्जे के विकल्प को चुना। विकल्प चुनने की समय सीमा खत्म होने पर कई खरीदारों की ओर से यूनिटेक बोर्ड को मेल किया गया। इसमें समय-सीमा बढ़ाने की अपील की गई। खरीदारों की अपील पर बोर्ड आॅफ न डायरेक्टर्स की ओर से एक बार फिर से समय सीमा बढ़ाने की मंजूरी दी गई। इसमें पब्लिक नोटिस के माध्यम से 18 नवंबर 2024 क एक बार फिर से मौका दिया गया। रिफंड से घर पर कब्जे के विकल्प चुनने के लिए 31 दिसंबर तक का समय दिया गया। 31 दिसंबर को 12 बजे तक लोगों ने इस मौके को भुनाया। इसमें काफी संख्या में घर खरीदारों ने अपने विकल्प बदले।
इन स्थानों के हैं खरीदार
बिल्डर की ओर जारी सूचना के मुताबिक इनमें अंबाला के सात, बंगलुरू के 29, चेन्नई के 76, ग्रेटर नोएडा के 173, गुरुग्राम के 265, कोलकाता के 40, मोहाली के 31, नोएडा के सेक्टर-96, 97 और 98 के 25, नोएडा सेक्टर-113 के 120, नोएडा सेक्टर-117 के 238 और रेवाड़ी के 85 खरीदार शामिल हैं। यूनिटेक की ओर से रिफंड की प्रक्रिया की जल्द जानकारी दी जाएगी। अब यूनिटेक की ओर से दी गई सूचना के मुताबिक 1089 खरीदार अब भी रिफंड की कतार में हैं।
हैसिंडा प्रोजेक्ट के मामले में नोएडा प्राधिकरण की ओर से बकाये की वापसी की कवायद की जा रही है। इसी क्रम में नोएडा प्राधिकरण की ओर से सुप्रीम कोर्ट में अलग-अलग स्पेशल लीव पीटिशन दायर की गई है। इसमें कोर्ट ने अलग-अलग संबंधित पार्टियों को नोटिस जारी कर जवाब दाखिल करने को कहा है। अलग-अलग तिथियों में इसकी सुनवाई की जा रही है। दरअसल, हाईकोर्ट से हारने के बाद प्राधिकरण ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया। प्राधिकरण को यह निर्देश दिया गया है कि वह खरीदारों की रजिस्ट्री में रोड़ा न बने। हालांकि प्राधिकरण का इस परियोजना में करीब 200 करोड़ रुपये बकाया है। ऐसे में प्राधिकरण इस बकाये की वापसी के लिए प्रयासरत है। इसी कड़ी में यह याचिका दायर की गई है। अब अगली तिथियों में सुनवाई के बाद ही स्थिति स्पष्ट हो सकेगी।
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