सूर्य को जल अर्पित करने के पीछे, क्या है प्रमुख कारण, आइये आज बात करते हैं....
इसमें कोई संदेह नहीं है कि पृथ्वी पर जीवन के संचार के लिए सूर्य अहम कारक हैं। जिस प्रकार सूर्य देवता अपनी ऊर्जा और अपनी शक्ति से पृथ्वी को प्रकाशित करते हैं, उस हिसाब से भगवान सूर्य को प्रमुख देवताओं की गिनती में रखा जाता है। भगवान सूर्य के प्रति लोगों में गहरी आस्था है, इसमें कोई संदेह नहीं है।
वहीं अक्सर आपने लोगों को सुबह स्नान के बाद सूर्य देवता को जल अर्पित करते हुए देखा होगा। लोगों में यह भी धारणा है कि अगर आपको पूजा की कोई भी विधि नहीं आती है, तो आप एक लोटा जल सूर्य भगवान को अर्पित कर दें, तो आपकी पूजा पूर्ण मानी जाती है।
हमारे शास्त्र कहते हैं कि अगर आपके शरीर में कोई कष्ट है, कोई बीमारी है, या आप शारीरिक रूप से कमजोर हैं, तो आपको सुबह स्नान करने के बाद भगवान सूर्य की आराधना करनी चाहिए, और उन्हें जल अर्पित करना चाहिए। इससे आपके शरीर की दुर्बलता, रुग्णता समाप्त होती है, और आपके चेहरे पर तेज आता है। वहीं अगर आप वैज्ञानिक रूप से भी इसको देखें, तो आप पाएंगे कि स्नान के बाद सुबह की गुनगुनी धूप में अगर आप थोड़ी देर तक खड़े हों, तो सूर्य की रोशनी से प्राप्त होने वाली विटामिन डी आपके के शरीर की हड्डियों के लिए बेहद लाभकारी होता है।
शास्त्र कहते हैं कि अगर आप सूर्य देवता को जल अर्पित करने जा रहे हैं, एवं जल अर्पित करने वाला पात्र अगर तांबे का बना हो, तो इसका बहुत फायदा होता है। बता दें कि तांबा एक ऐसी धातु है, जिससे जल अर्पित करने पर सूर्य की रोशनी जब जल पर पड़ती है, तो वह रोशनी 7 किरणों में विभाजित हो जाती है। इन 7 किरणों के प्रभाव से मनुष्य के शरीर की नकारात्मक शक्ति बाहर निकल जाती है, और सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह होने लगता है।
आप चाहे तो भगवान सूर्य की आराधना के लिए इन 7 मंत्रों में से किसी एक मंत्र का नियमित तौर पर उच्चारण भी कर सकते हैं, जिससे भगवान सूर्य आपसे प्रसन्न होंगे, और अपनी कृपा आपके ऊपर बनाए रखेंगे।
भगवान सूर्य को प्रसन्न करने वाले 7 आसान मंत्र
1. ॐ घृणिं सूर्य्य: आदित्य:
2. ॐ ह्रीं ह्रीं सूर्याय सहस्रकिरणराय मनोवांछित फलम् देहि देहि स्वाहा
3. ॐ ऐहि सूर्य सहस्त्रांशों तेजो राशे जगत्पते, अनुकंपयेमां भक्त्या, गृहाणार्घय दिवाकर:
4. ॐ ह्रीं घृणिः सूर्य आदित्यः क्लीं ॐ
5. ॐ ह्रीं ह्रीं सूर्याय नमः
6. ॐ सूर्याय नम: .
7. ॐ घृणि सूर्याय नम:
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