ईश्वर कल भी थे आज भी है और हमेशा रहेगें, प्रमाण है यह एक और स्थान,प्यास बुझाने के लिए खोदा कुंआ तो निकले पातालपुरी महादेव, लगभग 500 वर्ष पहले क्षेत्र में पड़ा था अकाल
आजमगढ़। निजामाबाद कस्बे में स्थित तमसा नदी के किनारे महादेव घाट पर पातालपुरी शिवलिंग स्थित है। जो हिंदू आस्था का एक बड़ा केंद्र है। प्रत्येक सोमवार और सावन में यहां बाबा के दर्शन पूजन को श्रद्धालुओं का रेला उमड़ता है। लोगों का कहना है कि लगभग 500 वर्ष पहले क्षेत्र में अकाल पड़ा था। अकाल के दौरान राजा ने जनता की प्यास बुझाने के लिए एक कुआं खोदने का आदेश दिया। तमसा नदी के किनारे महादेव घाट पर जब मजदूर खोदाई के लिए नीचे गए। वहीं एक शिवलिंग के आकार का पत्थर मिला। जब उसे हटाने के लिए मिट्टी हटाने का कार्य शुरू किया। तो शिला जैसे जैसे नीचे जाती चौड़ी होती गई। काफी प्रयास के बाद देखा गया कि वह एक शिवलिंग का रूप में थी। वहां मौजूद एक साधु ने उसे ना हटाने की सलाह दी और उसे शिवलिंग के रूप में पूजने की सलाह दी। जैसे ही शिला के पूजन की प्रक्रिया पूरी हुई तो क्षेत्र में जमकर बरसात हुई। तबसे यह स्थान भगवान भोलेनाथ के पातालपुरी महादेव के नाम से चर्चा में आ गया। यह स्थान हिंदू आस्था का एक बड़ा केंद्र बन गया है। पातालपुरी महादेव मंदिर तमसा नदी के किनारे निजामाबाद कस्बे में स्थित है। आज भी भगवान भोलेनाथ का जलाभिषेक करने के लिए हजारों की संख्या में श्रद्धालु प्रतिदिन आते हैं। सावन के महीने में महादेव मंदिर पर तमसा नदी से जलाभिषेक करने के बाद यहां से कांवरियों का जत्था दुर्वासा धाम, मारकंडेय महादेव, काशी विश्वनाथ, बैजनाथ धाम, महाकाल उज्जैन तक श्रद्धालु दर्शन पूजन के लिए जाते हैं। मान्यता है कि जो भी सच्चे मन से महादेव मंदिर पर जलाभिषेक करता है तो उसकी हर मनोकामना पूर्ण होती है।
पुजारी दुर्गा प्रसाद पाठक ने बताया कि पीढ़ी दर पीढ़ी से हम लोग आज भी महादेव मंदिर पर जलाभिषेक करते हैं। यहां पर जलाभिषेक करने वाले की हर मनोकामना पूर्ण होती है। मंदिर तक आने का मार्ग काफी पतला और संकरा है। जिससे श्रद्धालुओं को काफी परेशानी होती है। मार्ग के चौड़ीकरण को कराया जाए और इसे पर्यटक स्थल घोषित किया जाए।
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