Crime News / आपराधिक ख़बरे

2009 में हुए नरसंहार का 9 साल बाद हुआ खुलासा। सरवन और उसकी भाभी सुमन ने मिलकर पूरे परिवार को कुल्हाड़ी से काट डाला। जानें पूरे केस की खौफनाक कहानी।

लखनऊ : उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के मोहनलालगंज तहसील के गौरा गांव में हुई एक दिल दहला देने वाली वारदात ने पूरे इलाके को हिला कर रख दिया था। एक साधारण सुबह देखते ही देखते नरसंहार में तब्दील हो गई, जब एक महिला और उसके सहयोगी ने पूरे परिवार को कुल्हाड़ी से काट डाला। वर्षों तक यह मामला रहस्य बना रहा, लेकिन 9 साल बाद पुलिस जांच में चौंकाने वाले खुलासे हुए।

घरेलू कलह से शुरू हुई सुबह, और फिर मौत ने दी दस्तक
25 अप्रैल की सुबह करीब 6 बजे, संतोषी नाम की महिला अपने मिट्टी के कच्चे घर में सब्जी काट रही थी, चूल्हा जल रहा था और तीन छोटे बच्चे—6 साल का रामरूप, 4 साल की सुमिरन और डेढ़ साल का रवि—खाट पर सो रहे थे। पति सरवन बाहर बैठा था। मामूली घरेलू बहस के बाद सरवन घर से निकल गया।

लेकिन महज 10 मिनट बाद, एक महिला और पुरुष कुल्हाड़ी लेकर घर में दाखिल हुए। महिला चीख रही थी—”आज इन सबको लाइन में लगा देंगे”। इसके बाद जो हुआ, वह किसी भीषण त्रासदी से कम नहीं था।

6 मासूमों की बेरहमी से हत्या
सबसे पहले संतोषी को कुल्हाड़ी से मारा गया, जिससे उसकी आंख बाहर आ गई और वह मौके पर ही दम तोड़ बैठी।

रामरूप ने मां की जिंदगी के लिए मिन्नतें कीं, लेकिन उस दरिंदे ने उसे भी मार डाला।

सुमिरन और डेढ़ साल का रवि भी दरिंदगी का शिकार हो गए। उनके शरीर के टुकड़े-टुकड़े कर दिए गए।

शोर सुनकर पड़ोसी माधुरी पहुंची, लेकिन हत्यारों ने उसे भी मार डाला। माधुरी की बेटी संगीता किसी तरह जान बचाकर थाने तक पहुंची और पूरी घटना की सूचना दी।

हत्यारे भागे, पुलिस हरकत में आई

पुलिस ने गांव में सर्च अभियान चलाया और सरवन की भाभी सुमन को उसके घर से पकड़ा। पूछताछ में कई चौंकाने वाले तथ्य सामने आए। गांववालों ने दावा किया कि सरवन और सुमन के बीच अवैध संबंध थे और संतोषी इसके खिलाफ थी। जमीन के विवाद ने आग में घी का काम किया।

सरवन को पुलिस ने शाम को खेत से पकड़ा। उसने अपने बयान में नन्हा नामक युवक पर आरोप मढ़ा, लेकिन बाद में सच्चाई कुछ और निकली।

9 साल बाद खुला राज, कोर्ट ने सुनाया सजा का फरमान

करीब 9 वर्षों तक यह केस अनसुलझा रहा। गवाहों, बयानों और सबूतों के आधार पर अदालत ने आखिरकार फैसला सुनाया:

सरवन को फांसी की सजा दी गई।

सुमन को 4 साल की कैद और ₹2000 जुर्माने की सजा सुनाई गई।

यह मामला न सिर्फ उत्तर प्रदेश के सबसे भयावह हत्याकांडों में से एक बन गया, बल्कि रिश्तों और लालच के अंधेपन की खौफनाक मिसाल भी।


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