तीर्थ पर मत्था टेकने से भाग्य उज्वल होता है: साध्वी श्रुत पूर्णाश्रीजी
भीलवाड़ा राजस्थान : तीर्थ पर मत्था टेकने से भाग्य उज्वल होता है: साध्वी श्रुत पूर्णाश्रीजी,श्री चवलेश्वर जैन श्वेतांबर पारसनाथ तीर्थ पर परम पूज्य वल्लभ सूरी जी समुदाय वर्तनी धर्म धुरंधर सूरी जी मा सा की आज्ञानुव्रतिनी सुमंगला श्रीजी मा सा की पुण्य तिथि पर साध्वी श्रुत पूण्य श्रीजी मसा ने कहा कि तीर्थ पर मत्था टेकने से ही भाग्य उज्वल होता है। मनुष्य धर्म से दूर रहकर सुख ढूंढता है जो असम्भव है। कर्मो को क्षय करने के लिए धर्म से जुड़ना होगा तथा धर्म को जानने के लिए सन्तो का सानिध्य आवश्यक है ।वही ईस्टप्रिया श्रीजी ने भी जैन धर्म का महत्व बताया। इस दौरान परम पूज्य सुमंगला श्रीजी महाराज साहब की सातवीं पुण्यतिथि पर सामूहिक नवकार मन्त्र की आराधना की गई। गुरु वया की फोटो पर गुरु वया के माल्यार्पण का लाभ कान सिंह ओस्तवाल काछोला ने लिया।
प्रवचनकारीका साध्वी श्रुत पूर्णा श्रीजी मा सा ने कहा कि प्रभु भक्ति एवं स्वयं के जीवन को उज्जवल बनाने के लिए प्रभु दर्शन की महत्वता बताइ एवं जीवन में प्रभु भक्ति से ही मोक्ष प्राप्ति का मार्ग बताया। इस अवसर पर तीर्थ अध्यक्ष कान सिंह ओस्तवाल काछोला ,भागचंद गुगलिया, अशोक संचेती, दुर्गेश कुमार गुगलिया, पारस संचेती, मुकेश गुगलिया, शिमला देवी संचेती ,सीमा संचेती, श्वेता गुगलिया, कुसुमलता संचेती, सीमा गुगलिया, विमला देवी संचेती, अर्पिता संचेती एवं पुरुष महिलाएं उपस्थित थे।
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