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'डॉ.आद्या प्रसाद सिंह'प्रदीप' हिंदी साहित्य की अमूल्य निधि हैं' - डॉ.उदय प्रताप सिंह

●अमृत महोत्सव व अभिनंदन समारोह में जुटे साहित्यकार
सुलतानपुर । ' साहित्यकार डॉ.आद्या प्रसाद सिंह प्रदीप हिंदी साहित्य की अमूल्य निधि हैं । लोक साहित्य में किया गया डॉ . प्रदीप का योगदान अद्भुत और ऐतिहासिक है ।' यह बातें हिन्दुस्तानी एकेडमी के अध्यक्ष डॉ.उदय प्रताप सिंह ने कहीं । वे क्षत्रिय भवन सभागार में लोकभूषण डॉ आद्या प्रसाद सिंह 'प्रदीप' के हीरक जयंती पर आयोजित अमृत महोत्सव एवं अभिनन्दन समारोह को बतौर मुख्य अतिथि सम्बोधित कर रहे थे ।
डॉ.उदय प्रताप सिंह ने कहा कि कवि प्रदीप अवधी के जीवित इतिहास हैं । उन्होंने लोकसाहित्य को संजोकर हिंदी साहित्य का उपकार किया है ।
समारोह की अध्यक्षता करते हुए मुम्बई विश्वविद्यालय के पूर्व हिन्दी विभागाध्यक्ष प्रोफेसर राम जी तिवारी ने कहा कि लोकभाषा में लिखना कठिन होता है । डॉ आद्या प्रसाद सिंह 'प्रदीप' ने लोकभाषा को सहज और सरल बनाकर पाठकों के समक्ष प्रस्तुत किया है । पचहत्तर साल की उम्र में डेढ़ सौ से अधिक कृतियों की रचना करने वाला साहित्यकार हिंदी में दूसरा नहीं है इसलिए आद्या प्रसाद सिंह'प्रदीप' अद्वितीय साहित्यकार हैं ।
वरिष्ठ साहित्यकार कमल नयन पाण्डेय ने कहा कि प्रदीप जी का व्यक्तित्व और कृतित्व आदरणीय है । उनका अभिनंदन सुलतानपुर के समूचे साहित्य जगत का अभिनंदन है ।
आशुकवि मथुरा प्रसाद सिंह जटायु ने कहा कि प्रदीप जी बोलने में कम लिखने में ज्यादा यकीन करते हैं । लोक साहित्य की विभिन्न विधाओं का संकलन और उनका भाष्य करके प्रदीप जी ने हिंदी साहित्य को नया विस्तार दिया है ।
मिर्जापुर के साहित्यकार डा.जीतेन्द्र सिंह संजय ने कहा कि प्रदीप जी का सम्मान अवध की साहित्यिक परम्परा का सम्मान है ।
समारोह के विशिष्ट अतिथि प्रोफेसर रामहित त्रिपाठी , और राकेश पाण्डेय ने कवि प्रदीप के व्यक्तित्व व कृतित्व पर चर्चा की ।
अमृत महोत्सव में सर्जन डॉ.ए.के.सिंह , डॉ.राम बहादुर मिश्र , डॉ.कविता सिंह व ज्ञानेन्द्र विक्रम सिंह 'रवि' आदि ने अपने विचार व्यक्त किए ।
मंचस्थ अतिथियों ने छिहत्तरवें जन्मदिन पर डा.आद्या प्रसाद सिंह 'प्रदीप' को स्मृति चिन्ह, अंगवस्त्र व डॉ.आद्या प्रसाद सिंह 'प्रदीप' अभिनंदन समारोह समिति द्वारा प्रकाशित पांच सौ पृष्ठों का अभिनंदन ग्रंथ समर्पित किया ।
स्वागत डॉ.सुशील कुमार पाण्डेय 'साहित्येंदु' संचालन डॉ ओंकारनाथ द्विवेदी और आभार ज्ञापन पवन कुमार सिंह ने किया ।
इस अवसर पर सुरेन्द्र प्रताप सिंह , अंशुल ,सत्यम , सिद्धांत ,विकास आदि प्रमुख रूप से मौजूद रहे ।
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समारोह के द्वितीय सत्र में दिनेश प्रताप सिंह 'चित्रेश' , डॉ.शोभनाथ शुक्ल , डॉ.सूर्यदीन यादव , ज्ञानेन्द्र विक्रम सिंह 'रवि' , डॉ.रामप्यारे प्रजापति , डॉ.दयाराम मौर्य 'रत्न', डॉ.शम्भूनाथ त्रिपाठी'अंशुल', डॉ.भगवान प्रसाद उपाध्याय , राजेंद्र प्रसाद पाण्डेय गड़बड़, बन्धु कुशावर्ती , सुरेश चंद्र शर्मा ,श्याम नारायण श्रीवास्तव , नेहा इलाहाबादी , विनयदास , पवन कुमार सिंह , डॉ.सुशील कुमार पाण्डेय'साहित्येंदु' , श्री नारायण लाल श्रीश आदि को सम्मान पत्र व अभिनंदन ग्रंथ देकर सम्मानित किया गया ।
इस सत्र के मुख्य अतिथि प्रतापगढ़ के साहित्यकार दयाराम मौर्य रत्न व विशिष्ट अतिथि प्रयागराज के वरिष्ठ पत्रकार डॉ.भगवान प्रसाद उपाध्याय रहे । सत्र की अध्यक्षता प्रयागराज संस्कृत महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ.शम्भूनाथ त्रिपाठी अंशुल व संचालन आशुकवि मथुरा प्रसाद सिंह जटायु ने किया ।


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