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वेक्टर जनित रोग मस्तिष्क ज्वर/नवकी बीमारी (जेई/एईएस) के नियंत्रण के सम्बन्ध में वर्चुअल मीटिंग में जिलाधिकारी ने सुझाव

आजमगढ़ जिलाधिकारी राजेश कुमार द्वारा जूम ऐप के माध्यम से देर सायं वेक्टर जनित रोग मस्तिष्क ज्वर/नवकी बीमारी (जेई/एईएस) के नियंत्रण के सम्बन्ध में वर्चुअल मीटिंग की गयी। जिलाधिकारी ने कहा कि इंसेफ्लाईटिस (एईएस)/जापानी इंसेफ्लाईटिस (एई)/नवकी बीमारी जानलेवा है, परन्तु इससे बचाव सम्भव है। तीव्र ज्वर एवं चेतना में कमी/बेहोशी/झटके आना इस रोग के लक्षण हैं।
जिलाधिकारी ने समस्त जनपद वासियों से कहा कि इंसेफ्लाईटिस/जेई (दिमागी बुखार, मस्तिष्क ज्वर) नवकी बीमारी, संक्रामक रोगों से बचाव के लिए किसी प्रकार का ज्वर या बुखार होने पर नजदीक के सामु0/प्रा0स्वा0 केन्द्र पर रोगी को इलाज हेतु तुरन्त ले जायें। मच्छरों से बचाव के उपाय जैसे-मच्छरमार अगरबत्ती, मच्छरदानी का प्रयोग, नीम के पत्तों के धुएं का उपयोग करें तथा बदन को ढकने वाले वस्त्र पहनें। सुअर बाड़ा आबादी से दूर बनायें एवं नियमित सफाई तथा कीटनाशक का छिड़काव करें तथा जाली लगायें। तालाब व पोखरे की सफाई रखें, उसमें मच्छरों के लार्वा को समाप्त करने हेतु लार्वाभक्षी मछली गम्बूसिया एवं रैटीकेलैट्स का पालन करें एवं ठहरे हुये पानी या पोखरों में लार्वानाशक औषधियों का छिड़काव करें। हमेशा इण्डिया मार्का-।। हैण्ड पम्प का पानी पेय जल के रूप में उपयोग करें। पीने का पानी साफ बर्तन में ढक कर रखें, यथा सम्भव पानी को उबालने के उपरान्त ठंडा कर प्रयोग करें अथवा 20 लीटर पीने के पानी में 01 गोली क्लोरीन (25 मिग्रा0 पिसी हुई) डालकर 1 घण्टे बाद उपयोग करें। हमेशा ताजा तथा गरम एवं घर पर बने खाद्य पदार्थ ही खायें तथा भोजन को ढक कर रखें। हमेशा ताजे फल एवं सब्जी का प्रयोग करें। शौच के बाद तथा खाने से पहले साबुन से हाथ, अँगुलियों के जड़ों तक व नाखूनों को हथेली पर रगड़कर अच्छी तरह धोयें। घर के आस-पास सफाई रखें तथा घर का कूड़ा-करकट ढक्कनदार कूड़ेदान में ही रखें। शौच के लिए हमेशा पक्के स्वच्छ शौचालय का प्रयोग करें।
ज्वर के साथ झटके या बहोशी की स्थिति में रोगी को दायें या बायें करवट ही लिटायें तथा मुंह में कुछ न डालें। तेज बुखार की स्थिति में ठंडे पानी से पूरे बदन को पोछते रहें। बच्चों को समयानुसार सभी जीवन रक्षक टीके अवश्य लगवायें, साथ ही साथ 09 माह पर प्रथम डोज एवं 16 से 24 माह के आयु वर्ग पर जे0ई0 वैक्सीन की दूसरी डोज अवश्य लगवायें। नाखूनों को बराबर काटते रहे। लम्बे नाखूनों से भोजन बनाने व खाने से भोजन दूषित होता है। तीव्र ज्वर होने पर रोगी को नजदीकी इन्सेफ्लाईटिस ट्रीटमेन्ट सेन्टर/सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों/जिला चिकित्सालयों पर चिकित्सकों को दिखाकर जाँच एवं उपचार करायें। रोगी के आवागमन हेतु निःशुल्क 108 एम्बुलेंस की सुविधा का लाभ उठायें। उपचार में कठिनाई होने पर टोल फ्री नम्बर-18001805145 पर सम्पर्क करें।
उन्होने समस्त जनपद वासियों से कहा कि वर्षा ऋतु में तेज बुखार के रोगियों की संख्या बढ़ रही है। यह रोगी सामान्य वायरल, मलेरिया या डेंगू से ग्रसित हो सकते है। सामान्य वायरल बुखार 4 से 5 दिन में ठीक हो जाता है। परन्तु मलेरिया या डेंगू रोग गम्भीर हो सकता है जो कि मच्छरों के काटने से होता है। अतः हम सब का यह दायित्व बनता है कि हम सब मच्छरों के काटने से बचाव करें। डेंगू रोग के लक्षण में अत्यधिक ठण्ड लगने के साथ अचानक तेज बुखार, सिर दर्द, बदन दर्द एवं आँखों के पिछले हिस्सों में दर्द का होना, शरीर पर लाल व गुलाबी रंग के चकत्ते पड़ जाना, कमजोरी लगना, भूख न लगना, जी मिचलाना, डेंगू के गम्भीर स्थिति में नाक, मुँह, गुदा एवं मूत्र नली आदि से खून (रक्त) का श्राव होना/आना तथा कभी-कभी रोगी का बेहोश हो जाता है।
साधारण डेंगू बुखार में उपचार व देखभाल घर पर की जा सकती है। डाक्टर के सलाह पर बुखार कम करने के लिए पैरासिटामाल औषधि ले सकते हैं। बुखार 102 डिग्री फारेन हाइट से अधिक होने पर शरीर पर पानी से भीगी पट्टी रखें। रोगी को आराम करने दें। सामान्य रूप से खाना देना जारी रखे। डेंगू हेमारेजिक फीवर तथा डेंगू शाक सिन्ड्रोम के लक्षण दिखाई पड़ने पर शीघ्र ही राजकीय चिकित्सालय में चिकित्सक की सलाह लें। ऐसे रोगी को शीघ्र ही स्वास्थ्य केन्द्र चिकित्सालय में भर्ती करायें एवं चिकित्सक की देख -रेख में उपचार करायें। लापरवाही तनिक भी न करें। इसस बचने के लिए घर में कूलर, बाल्टी, घड़े तथा ड्रम में इकत्रित पानी को सफ्ताहिक अन्तराल पर बदलते रहें। कूलर के पानी बदलने के साथ कूलर के टंकी की बाडी को स्क्रब से साफ कर 4 से 5 घंटे तक सूखने दें, जिससे दीवार पर चिपके लाखा भी नष्ट हो जायें। घरों में पानी रखने वाली टंकी एवं बर्तनों को ढ़क्कन से अच्छी प्रकार से बन्द रखें। घर के आसपास पानी इकत्रित न होने दें। पानी का निस्तारण न हो तो सफ्ताह में एक बार जला मोबिल आयल अवश्य डाल दें। फुल आस्तीन का कपड़ा, पैर में जूता एवं मोजा पहने, बदन को ढककर रखें। सोते समय मच्छरदानी का प्रयोग करें। मच्छरों के काटने से बचने के लिए स्थानीय विधि को अपनायें, जैसे नीम का धूआँ करें एवं मच्छर निरोधक क्यायल का भी प्रयोग करें। बुखार होने पर नजदीक के स्वास्थ्य केन्द्र, राजकीय चिकित्सालय एवं जिला चिकित्सालय पर निःशुल्क जाँच एवं उपचार करायें।
इस अवसर पर मुख्य चिकित्साधिकारी डॉ0 इन्द्रनारायण तिवारी, अपर मुख्य चिकित्साधिकारी डॉ0 अरविन्द चौधरी, जिला मलेरिया अधिकारी शेषधर द्विवेदी वर्चुअल माध्यम से उपस्थित रहे।


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