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भगवान की शरणागति से सभी पाप कट जाते हैं-डॉ. मिश्र : कादीपुर


कादीपुर ।ईश्वर की प्राप्ति भक्ति के माध्यम से होती है। अजामिल ने पुत्र का नाम नारायण रखा उसके स्मरण से उसे मुक्ति मिली। बच्चों का नाम अच्छा रखना चाहिए जिससे उनका स्मरण ही उपासना बन जाए।यह बातें डा. मदनमोहन मिश्र ने धरमनपुर मेँ श्रीमद्भागवत कथा मेँ कही। डा. मिश्र ने कहा कि गज के पुकार पर भगवान ओम उन्होंने पहले ग्राह को मुक्त किया फिर गज को। गज ने भगवान का सहारा लिया किन्तु ग्राह ने भगवान के भक्त गज का चरण पकड़ लिया था। श्रोताओं को कथा कहते हुए श्री मिश्र ने कहा कि प्रहलाद ने पिता के अत्याचार को भगवान की कृपा से सहन किया। नवधा भक्ति श्रवण, कीर्तन, भगवान का स्मरण, चरणसेवन, अर्चन, वन्दन, दासना, सख्यभाव, आत्मनिवेदन, नव प्रकार की भक्ति की स्थापना की। बुरे विचार वाली होलिका का दहन अनुराग के प्रहलाद की रक्षा भगवान का कार्य है। प्रहलाद ने कहा कि मेरे जीवन से माँगने की कामना ही समाप्त हो जाय।

इस अवसर पर राजमणि दूबे, जयशंकर पाण्डेय, अमरीश मिश्रा, डा. सन्त भारती, शीतला प्रसाद सिंह, विजय उपाध्याय, घनश्याम मिश्र, दीपक सिँह, सुरेश विश्वकर्मा, दयाशँकर यादव एड. रामप्रसाद गौतम आदि उपस्थित रहे। अतिथियों का नीरज पाँडेय, सुमित पाण्डेय ने सभी अतिथियों का आभार व्यक्त किये ।


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