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निबुआडीह अतरौठ में यह मजार बना है हिन्दू मुस्लिम एकता प्रतीक


अतरौलिया आजमगढ़। तहसील बूढ़नपुर क्षेत्र के ग्राम पंचायत निबुआडीह अतरैठ आज़मगढ़ में बाबा जहांगीर शाह रहमतुल्ला अलैह का उर्स मदरसा अरबिया फैजे जहांगीरिया  निबुआ डीह अतरैठ आजमगढ़ में संपन्न हुआ ।जिसमें सुबह 5:00 बजे कुरान खानी सायं 5:30 बजे चादर पोशी व नमाज मगरिब के बाद लंगर खाने का आयोजन किया गया। लंगर खाने में  दूरदराज के हिंदू मुसलमान महिला व पुरुष ने भाग लिया और सीरनी प्रसाद के रूप में खाना खाया। बताते हैं कि बाबा जहांगीर शाह रहमतुल्लाह अलैह बहुत ही पहुंचे हुए फकीर थे। उनके दरबार में मांगी गई दुआ कभी रद्द नहीं जाती। यहां पर काफी संख्या में हिंदू मुस्लिम दोनों समुदाय के जायरीन का मजमा लगा रहा। यह मजार हिंदू मुस्लिम एकता का प्रतीक है। यहां पर भूत प्रेत बाधा भी ठीक होता है। लोग अपनी मत्था टेककर अपनी मनोकामना पूरी होने पर चादर चढ़ाते हैं। और रात्रि नमाजे एसां के बाद  जलसये ईद मिलादुन्नबी का आयोजन किया गया। जिसकी अध्यक्षता सदारत मास्टर दिलशाद खान और सरपरस्ती मौलाना नूरुल हसन फैजी. और निगरानी मौलवी शमशेर अहमद प्रिंसिपल मदरसा फैजे जहांगीरिया ने की।मौलाना मोहम्मद अख्तर रजा की निजामत में कारी बदरुद्दीन ने कुराने पाक की तिलावत से जलसे का आगाज किया गया।नात खान ए रसूल अब्दुल रहमान ने नाते पाक पेश करके मजमा से खूब वाहवाही लूटी। शायर अहले सुन्नत फरहान रजा ने कलामे आला हजरत पेश की *उठा दो पर्दा दिखा दो चेहरा की नूरे बारी हजॉब में है ।जमाना तारीख  हो रहा है  मेहर कब से नकाब में है। मौलाना मोहम्मद अली ने अवलिया   की खूबियों को विस्तार के साथ पेश किया .मौलाना मोहिउद्दीन वालेहाना अंदाज में कलाम पेश करते हुए कहा। 
उनकी महक ने दिल के गुंचे खिला दिए हैं । जिस राह चल दिए हैं कोच्चि बसा दिए हैं,वल्लाह क्या जहन्नम अब भी न सर्द होगा 
.रो रो के मुस्तफा ने दरिया बहा दिए  है खतीब हजरत मौलाना मोहम्मद अब्दुल बारी  नईमी ने औलिया अल्लाह के आस्ताने पर हाजिरी के आदाब बयान करते हुए कहा कि अल्लाह वालों की मजारों पर चार हाथ के फासले पर खड़ा होकर फातिहा पढ़ना चाहिए।  औरतों को मजार के अंदर दाखिल नहीं होना चाहिए ।अल्लाह वाले अल्लाह की मंशा के मुताबिक अपनी जिंदगी के रहन सहन पसंद किए। इसलिए वह कल भी लोगों की निगाह में प्यारे थे, और आज ही प्यारे  हैं ।मेहताब दानिश इलाहाबादी ने कलामे आला हजरत पेश करते हुए कहा।
  हाजियों आओ शहंशाह का रोजा देखो
   काबा तो देख चुके काबे का काबा देखो आखिर में खुसूसी बयान सिद्धार्थ नगर से आए हुए इस्लामिक स्कॉलर हजरत मौलाना मकसूद अहमद अलीमी का हुआ।  उन्होंने ने कहा कि शरीयत के मुताबिक जिंदगी गुजारने में कामयाबी है। अल्लाह वाले अल्लाह और उसके रसूल के फरमान के मुताबिक अपनी जिंदगी गुजारे इसलिए जब तक जमीन के ऊपर  थे तब भी लोग उनसे फायदा हासिल कर रहे थे। और आज जबकि मजारों के अंदर आराम फरमा हैं। तब भी इंसानों की कशीर तादाद फायदा हासिल कर रही है। मौलाना  ने कहा कि ओलामां की बारगाह में उपस्थिति का मौका मिले तो जबान को संभाल कर जाया जाए ।और अल्लाह वालों के आस्ताने पर जाया जाए दो दिलों को संभाल कर। क्योंकि वह लामा जबान पर हुकूमत करते हैं और अल्लाह वाले दिलों पर हुकूमत करते हैं ।आखिर में सलातो सलाम और मौलाना मकसूद अहमद की दुआ पर जलसे का समापन हुआ। इस मौके पर मोहम्मद इदरीश खान, मोहम्मद असलम खान, अनीश खान ,अब्दुल अजीज खान, कमरुद्दीन खान, अयूब खान ,इकरार खान, अयूब खान, अलीम खान,  इस्माइल खान, नजर मोहम्मद खान ,जलालुद्दीन खान, सलीम खान, मोइनुद्दीन खान, अत्ताउल्लाह खान, खुर्शीद खान, सद्दाम, मौलाना जमशेद, हाफिज स्टार अब्दुल हाई हाजी मुजफ्फर हाजी शरीफ, साबिर अली, साबिर अली आदि लोग उपस्थित रहे।


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