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भारतीय सुरक्षा एंजेसियों को पांच साल से चकमा दे रहा ISI एजेंट मोटा अरेस्ट, यूपी STF की कामयाबी, NIA लौटी थी खाली हाथ

लखनऊ। यूपी में पिछले पांच सालों से सुरक्षा एंजेसियों को चकमा देकर फरार चल रहे आईएसआई एंजेट तहसीम उर्फ मोटा को यूपी एसटीएफ ने गिरफ्तार कर लिया है। एसटीएफ के लिए ये बड़ी सफलता है। क्योंकि नवंबर 2023 में एनआईए की टीम तहसीम के घर गई थी। तब तहसीम के माता पिता से 7 घंटे से अधिक पूछताछ बात एनआईए खाली हाथ लौट गई थी। लेकिन तहसीम का पता नहीं चल सका था। लेकिन अब एसटीएफ ने गिरफ्तार कर लिया है।  एसटीएफ के अधिकारियों के मुताबिक पूरी टीम को एक माह से लगातार सक्रिय थी। एसटीएफ को लगातार जानकारी मिल रही थी कि वह मेरठ में मौजूद है। मोटा पर आरोप है कि  पाकिस्तानी खुफिया एंजेसी आईएसआई के संपर्क में था आईएसआई की ओर से उसको जाजूसी के लिए फंडिंग भी की जा रही थी।

इससे पहले 16 अगस्त को सहयोगी कलीम को एसटीएफ ने  किया था गिरफ्तार 
इससे पहले मोटा के सहयोगी व आईएसआई के लिए काम करने वाले कलीम को भी बीते 2023 में 16 अगस्त को गिरफ्तार किया था। उसकी गिरफ्तारी कोतवाली क्षेत्र के मोहल्ला बर्फखाने वाली गली से मेरठ एसटीएफ ने गिरफ्तार किया था। उस दौरान एसटीएफ के निरीक्षक प्रशांत कपील ने कलीम उसके भाई तहसीम उर्फ मोटा समेत तीन लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया था। कलीम के मोबाइल फोन से आईएसआई के कमांडर दिलशाद उर्फ मिर्जा से बातचीत की पुष्टि हुई थी।

जेल में बंद कलीम ने खोले कई राज
वहीं एसटीएफ सूत्रों के मुताबिक जेल में बंद कलीम ने मोटा के बारे में कई राज खोले हैं। कलीम ने एसटीएफ को तहसीम उर्फ मोटा के घर के बारे में काफी जानकारी दी थी। तहसीम के पिता नफीस के घर भी छापेमारी हुई थी जिसमे पाकिस्तार से जुड़े कुछ उर्दू में लिखे पत्र मिले थे। जिसमें पाकिस्तान में बैठे आईएसआई के लोगों का भी नाम शामिल था। फिलहाल मोटा की गिरफ्तारी एसटीएफ के लिए बड़ी कामयाबी मानी जा रही है। 

मेरठ के करनाल रोड से हुई गिरफ्तारी
एसटीएफ की ओर 0दी गई जानकारी के मुताबिक आरोपी को मेरठ-करनाल रोड स्थित गढी शखावत चौराहा थाना बुढाना, जनपद मुजफ्फरनगर से गिरफ्तार किया गया है। गिरफ्तार आरोपीआईएसआई से मिलकर एक अपराधिक षडयंत्र के तहत अवैध असलाहों को एकत्र कर भारत देश की एकता, अखण्डता, सम्प्रभुता तथा सामाजिक सौहार्द को विखण्डित करने एव भारत की आन्तरिक व बाह्य सुरक्षा को क्षति कारित करने के प्रयास में बड़ी घटना को अन्जाम देने वाले अपराधी कलीम पुत्र नसीम अहमद नि बर्षावाली गली नौकुओं रोड मोमीनपुरा, थाना कोतवाली, जनपद शामली को गिरफ्तार किया गया था, जिसके सम्बन्ध में थाना कोतवाली जनपद शामली पर मुकदमा भी दर्ज हुआ था। इसके साथ ही कूटरचित भारतीय जाली मुद्रा सहित 01 शातिर अपराधी इमरान पुत्र महबूब को 6,08,300 रूपये की नकली भारतीय करेंसी एंव 01 अदद मोबाईल फोन के साथ गिरफ्तार किया गया था। दोनों अभियोगों में अपराधी तहसीम उर्फ मोटा पुत्र नसीम अहमद नि० बर्फवाली गली नौकुओं रोड मोमीनपुरा, थाना कोतवाली जनपद शामली फरार चल रहा था, जिसकी गिरफ्तारी के सम्बन्ध में बृजेश कुमार सिंह, अपर पुलिस अधीक्षक, एसटीएफ फील्ड यूनिट मेरठ के निर्देशन निरीक्षक सुनील कुमार के नेतृत्व में टीम गठित कर सूचना संकलन की कार्यवाही की जा रही थी।

मोटा का भाई है कलीम जो कि जाता था पाकिस्तान
गिरफ्तार अभियुक्त तहसीम उपरोक्त ने पूछताछ पर बताया कि यह तथा इसका भाई कलीम पाकिस्तान आते-जाते हैं। वहा पर इसके आईएसआई के कुछ हैण्डलर से जान पहचान हो गयी थी, जिनके द्वारा उसे कुछ पैसो का लालच दिया और इनसे कहा कि तुम्हे भारत में जिहाद फैलाने के लिए असलाह व गोला-बारूद तथा पैसा दिया जायेगा, जिसको तुम भारत में साम्प्रदायिक सौहार्द बिगाड़ने के लिए अपने लोगों को तैयार करो, जो भारत के भिन्न-भिन्न स्थानों पर दंगा व फसाद कर विध्वंसक गतिविधियों को अन्जाम देगें, जिससे कि भारत में शरीयत कानून के तहत नये सिस्टम को स्थापित कर भारत को इस्लामिक राष्ट्र बनाया जा सके। इस पर तहसीम व इसका भाई कलीम फर्जी सिम प्राप्त कर व्हाटसप से पाकिस्तान में आई०एस०आई० एजेन्ट दिलशाद उर्फ मिर्जा से सम्पर्क कर सवेंदनशील सूचनाएं भेजते थे। वहीं नफीस, जो कांधला का रहने वाला है, से नकली करेन्सी लेकर इमरान के साथ आस-पास के जनपदों में सप्लाई का काम करता था। इसके भाई कलीम के गिरफ्तार होने के पश्चात यह अपना फोन छोडकर फरार हो गया था। 

पूछताछ में आरोपी ने ये भी दी जानकारी
मोटे की गिरफ्तारी के बाद उसने एसटीएफ को पूछताछ में बताया कि वह तहसीम उर्फ मोटा वर्ष 2002 में पाकिस्तान कोटाद् अपने रिश्तेदार अपने पिताजी की बुआ के यहां गया था। वह वहां पर पान, कत्था आदि बेचने के बहाने गया था। कोटादू में अपने रिश्तेदार के पास वह लगभग 10-15 दिन रहा बाकी 15-20 दिन वह लाहौर में हमीदा के यहां गया। हमीदा कैराना, जनपद शामली की रहने वाली है। वहीं इकबाल काना जो कैराना का रहने वाला है, काफी वर्ष पहले आतंकवादी गतिविधियों में लिप्त होने के बाद पाकिस्तान भाग गया था। उक्त गतिविधियों में हमीदा भी इकबाल काना की सहयोगी रही थी, जो पकडे जाने के डर से वह भी इकबाल काना की सहायता से पाकिस्तान चली गयी थी। हमीदा के माध्यम से इसकी मुलाकात इकबाल काना से हुई थी। लाहौर में हमीदा के यहाँ रहते हुए उसकी मुलाकात लाहौर के ड्राई फूड की दुकान करने वाले इकबाल काना के सहयोगी केसर से हुई। केसर ने उसे इण्डिया की नकली करेन्सी इण्डिया में सप्लाई करने के लिए बताया। केसर के माध्यम से इसकी जान पहचान दिलशाद मिर्जा से हुई थी। दिलशाद मिर्जा ने उसे देश विरोधी गतिविधियों में शामिल होने के लिए Motivate किया। पाकिस्तान से वापस आने के बाद इकबाल काना एवं केसर उपरोक्त ने तहसीम को फोन कर नकली करेन्सी भेजना शुरू कर दिया। इसके बाद वह आईएसआई के साथ मिलकर भारत में काम करने लगा।


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