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दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी, राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 प्रारम्भिक बाल्यावस्था हस्तक्षेप/देखभाल और समावेशी शिक्षा का समाप

लखनऊ: 25 अप्रैल,  डॉ0 शकुन्तला मिश्रा राष्ट्रीय पुनर्वास विश्वविद्यालय, लखनऊ एवं दिव्यांगजन सशक्तीकरण विभाग, उत्तर प्रदेश शासन के संयुक्त तत्वाधान में दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी, राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 प्रारम्भिक बाल्यावस्था हस्तक्षेप/देखभाल और समावेशी शिक्षा का समापन हुआ। इसमें राज्य के विद्यालयों के शिक्षक, आंगनवाड़ी कार्यकर्ता, विशेष शिक्षक, प्रशिक्षु अध्यापक एवं शोधार्थियों के साथ प्रारम्भिक बाल्यावस्था हस्तक्षेप/देखभाल पर चर्चा की गई।
कुरूक्षेत्र विश्वविद्यालय, शिक्षाशास्त्र विभाग (विशेष शिक्षा) की प्रो0 संगीता ने विशेष आवश्यकता वाले बच्चों की समावेशी शिक्षा के विभिन्न मुद्दे तथा चुनौतियों पर प्रकाश डाला। राष्ट्रीय न्यास, नई दिल्ली की पूर्व अध्यक्ष डा0 आलोका गुहा ने प्रारम्भिक बाल्यावस्था हस्तक्षेप के विभिन्न तकनीक/विधियों के बारे में विस्तार से वर्णन करते हुये बताया कि शीघ्र हस्तक्षेप दिव्यांगता को बढ़ने से रोकती ही नहीं परन्तु यह उनके कौशल को विकसित भी करती है।
इसके अतिरिक्त डॉ0 प्रगति पाण्डेय, मनोवैज्ञानिक, डॉ0 पंकज शाह, सहायक प्राचार्य, एन0आई0ई0पी0वी0डी0, देहरादून, डॉ0 आलोक उपाध्याय, सह-आचार्य तथा विशेष शिक्षा संकाय के अध्यक्ष, ए0आई0आई0एस0एच0, मैसूर, प्रो0 एस0पी0 गोस्वामी, विभागाध्यक्ष, ऑडियोलाजी विभाग, ए0आई0आई0एस0एच0, मैसूर, श्री सुमन कुमार, सह-आचार्य, ए0वाई0जे0एन0आई0एस0एच0डी0, कलकत्ता तथा डॉ0 सोहन लाल, मैनेजर, सफदरजंग हास्पिटल, नई दिल्ली ने भी प्रारम्भिक बाल्यावस्था हस्तक्षेप के महत्वों पर विभिन्न प्रकार के दिव्यांगता के संदर्भ में अपने विचार व्यक्त किये। कार्यक्रम का समापन प्रो0 राणा कृष्ण पाल सिंह, कुलपति, डा0 शकुन्तला मिश्रा राष्ट्रीय पुनर्वास विश्वविद्यालय, डॉ0 जे0पी0 सिंह, भूतपूर्व सदस्य सचिव, आर0सी0आई0, नई दिल्ली एवं प्रो0 संजय सिंह, कुलपति, बी0बी0ए0 विश्वविद्यालय, लखनऊ की गरिमामय उपस्थिति में सम्पन्न हुआ। इस अवसर पर प्रो0 संजय सिंह, कुलपति, बी0बी0ए0यू0, लखनऊ ने कहा बच्चों के लिए न्यायसंगत गुणवत्ता वाली प्रारम्भिक बाल्यावस्था हस्तक्षेप सभी बच्चों का अधिकार है तथा इसके लिए पर्याप्त संसाधन प्रदान करने की आवश्यकता है। डॉ0 जे0पी0 सिंह, भूतपूर्व सदस्य सचिव, आर0सी0आई0, नई दिल्ली ने विश्वविद्यालय द्वारा दिव्यांगजनों को मुख्य धारा से जोड़ने के प्रयासों की प्रशंसा करते हुए कार्यों को सराहा। इस अवसर पर प्रो0 राणा कृष्ण पाल सिंह,  कुलपति, डा0 शकुन्तला मिश्रा राष्ट्रीय पुनर्वास विश्वविद्यालय के द्वारा बताया गया कि पूर्व बाल्य-काल देखरेख एवं शिक्षा किसी भी राष्ट्र के लिए बुनियादी जरूरत है। उनके विकास के लिए आवश्यक वातावरण, विकास की पद्वति एवं प्रारम्भिक बाल्यावस्था की शिक्षा का विचार करते समय भारतीय मनोविज्ञान का आधार लेना चाहिए। साथ ही उन्होनें आशा व्यक्त कि यह राष्ट्रीय संगोष्ठी सम्बन्धित क्षेत्र के पूरे देश भर से आये विशेषज्ञों के माध्यम से प्रारम्भिक बाल्यावस्था हस्तक्षेप/देखभाल और समावेशी शिक्षा से सम्बन्धित समस्त पहलुओं पर प्रकाश डालने का कार्य करेगी जिससे समावेशी शैक्षिक प्रयत्नों के माध्यम से संवैधानिक आकांक्षाओं के अनुरूप समावेशी राष्ट्र का निर्माण किया जा सकें। कार्यक्रम निदेशक, प्रो0 रजनी रंजन सिंह ने इन दो दिवसीय संगोष्ठी की प्रगति आख्या प्रस्तुत की।
     कार्यक्रम में चुनिंदा प्रतिभागियों ने इस दो दिवसीय संगोष्ठी में अपने अनुभवों को साझा किया। अन्त में कार्यक्रम का समापन डा0 कौशल शर्मा, संगोष्ठी के संयोजक सचिव द्वारा मंच पर उपस्थित गणमान्य लोगों के धन्यवाद ज्ञापन के साथ हुआ।


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