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मेज़वा-कस्बा और ग्रामीण इलाकों में मोहर्रम का चांद नमूदार होते मजलिसों का दौर शुरू

फूलपुर। कस्बा और ग्रामीण इलाकों में मोहर्रम का चांद नमूदार होते मजलिसों का दौर शुरू हो गया है। अज़ाखाने सजा दिए गए है। इमामबारगहों में अजादारों ने नौहा मातम पेश कर करबला में शहीद इमाम हुसैन को खिराज-ए-अकीदत पेश किया। मेजवा गांव में आयोजित मजलिस में मौलाना शकील फ़राज़ ने कहा कि इमाम हुसैन इंसानियत का नाम है, उन्होंने अपनी अजीम कुर्बानी देकर इस्लाम को बचाया। जनाबे जैनब ने ही पूरी दुनिया को बताया कि करबला में इमाम हुसैन के कुरबानी देने का मकसद क्या था। मौलाना शकील फ़राज़ ने कहा कि इमाम हुसैन सिर्फ 72 साथियों की फौज लेकर इंसानियत को बचाने के लिए करबला के मैदान में उतरे और तीन लाख की फौज का मुकाबला किए। यहां तक कि यज़ीदी फौजों ने नहरे फोरात पर कब्ज़ा कर लिया था। जिसके चलते लोग पानी को तरस गए। मजलिस में लोग गम का प्रतीक काला लिबास पहन कर आए थे। इसी क्रम में चमावा, दसमड़ा, शाहजेरपुर, माहुल, अंबारी में चांद रात में मजलिसे आयोजित की गई।


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