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India vs Bharat:इलाहाबाद का नाम बदलने पर खर्च हुए थे 300 करोड़! तो जानिए देश को रीब्रांड करने पर कितना होगा खर्च

नई दिल्ली: केंद्र द्वारा विशेष सत्र बुलाए जाने के बाद से देश में दोनों नामों पर सियासी हंगामा मचा हुआ है, कहा जा रहा है कि,मोदी सरकार देश का नाम 'INDIA' से बदलकर 'भारत' करेगी। हालांकि, शाम होते-होते केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने कहा कि सरकार नाम बदलने के लिए संसद का विशेष सत्र नहीं बुला रही है। ठाकुर ने इसे 'अफवाह' बताकर खारिज कर दिया है। लेकिन एक सवाल है जिसे ख़ारिज नहीं किया जा सकता, सवाल ये है कि अगर देश का नाम बदला गया तो कितना खर्च आएगा?
आपको बता दें कि, हर बदलाव अपने साथ कोई ना कोई खर्चा लेकर आता है। उदाहरण के लिए, घर की पुताई कराना, उसका अपना एक खर्च होता है। स्कूल में नाम बदलना या किसी दस्तावेज़ में पता या नाम बदलना। सभी परिवर्तन बिना लागत के नहीं आते। देश के स्तर पर भी ऐसा ही होता है। अगर नाम बदला गया तो सभी दस्तावेजों, आधिकारिक वेबसाइट, देश के विभिन्न संस्थानों और कई अन्य बड़े बदलाव भी करने होंगे। इन सभी का अपना अलग-अलग खर्च होगा। 
क्या पहले किसी देश ने अपना नाम बदला है?
हालाँकि, भारत पहला देश नहीं है जहाँ नाम बदलने की बात चल रही है। ऐसे बदलाव पहले भी कई देशों में समय-समय पर होते रहे हैं। कभी कोलोनियल लेगेसी को मिटाने के लिए, तो कभी-कभी प्रशासन को सुव्यवस्थित करने के लिए।लेकिन फिर वही सवाल घूम कर आता हैकि एक देश नाम बदलने के खर्च को मापा कैसे जाए।
लेकिन यह लागत कैसे मापी जाएगी?
इसके लिए कुछ तरीके भी हैं। ऐसा ही एक तरीका दक्षिण अफ़्रीकी वकील ने खोजा था,नाम डैरेन ओलिवर। आउटलुक में छपी खबर के मुताबिक, ओलिवियर ने अफ्रीकी देशों में नाम बदलने की प्रक्रिया की तुलना एक बड़े कॉरपोरेट की रीब्रांडिंग कवायद से की है। उनके मुताबिक, एक बड़े कॉरपोरेट घराने की औसत मार्केटिंग लागत उसके राजस्व का 6 फीसदी है। लेकिन रीब्रांडिंग की लागत कंपनी के मार्केटिंग बजट का 10 प्रतिशत तक हो सकती है।
डेरेन ओलिवियर के इस मॉडल की मदद से भारत के लिए होने वाले खर्च का पता लगाया जा सकता है। भारत का नाम बदलने की प्रक्रिया में कितना बड़ा खर्च आया, इसे एक उदाहरण से समझा जा सकता है। अनुमान है कि केंद्र सरकार नाम बदलने पर उतनी ही रकम खर्च करेगी जितनी वह 80 करोड़ भारतीय नागरिकों की खाद्य सुरक्षा पर खर्च करती है।
रीब्रांडिंग के लिए कितना करना होगा खर्च?
रिपोर्ट के मुताबिक, 2023 को समाप्त वित्तीय वर्ष में भारत की राजस्व प्राप्ति 23 लाख 84 हजार करोड़ रुपये थी. इसका मतलब सरकार द्वारा अर्जित कर और गैर-कर राजस्व है। इस राजस्व आंकड़े के आधार पर, 'ओलिवियर मॉडल' के अनुसार, भारत का नाम बदलने की प्रक्रिया में लगभग 14,304 करोड़ रुपये की लागत आएगी।
आपको बता दें कि साल 2018 में दक्षिण अफ्रीकी देश स्वाजीलैंड का नाम बदले जाने के बाद ही ओलिवियर ने इस मॉडल को विकसित किया था। स्वाजीलैंड का नाम बदलकर इस्वातिनी कर दिया गया था। ओलिवियर के मॉडल के मुताबिक, स्वाज़ीलैंड का नाम बदलने की लागत लगभग 500 करोड़ रुपये थी। इस आंकड़े को निकालने में भी ओलिवियर ने देश की राजस्व कमाई का फॉर्मूला लागू किया था।
इलाहाबाद का नाम बदलने पर खर्च हुए 300 करोड़!
इस साल की शुरुआत में, महाराष्ट्र के औरंगाबाद शहर का नाम बदलकर छत्रपति संभाजी नगर कर दिया गया था। इसी समय उस्मानाबाद का नाम बदलकर धाराशिव कर दिया गया। साल 2016 में हरियाणा सरकार ने गुड़गांव का नाम बदलकर गुरुग्राम कर दिया।वहीं साल 2018 में यूपी सरकार ने इलाहाबाद का नाम बदलकर प्रयागराज कर दिया. खबरों के अनुसार, सरकारी आंकड़ों के मुताबिक राज्य सरकार ने इलाहाबाद का नाम बदलने पर 300 करोड़ रुपये से ज्यादा खर्च किए हैं।
हालाँकि, भारत का नाम बदला जाएगा या नहीं। इस पर सरकार की ओर से अभी तक कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है. संसद का विशेष सत्र क्यों बुलाया गया है, यह जानने के लिए हमें सत्र शुरू होने का इंतजार करना होगा. तभी तस्वीर साफ होगी।


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