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शिवालयों में भक्तों का लगा ताता, बेल पत्र और धतूरा ढूंढते भक्त,आजमगढ़ की इन मंदिरों का अपना अलग मान्यता


अम्बारी आजमगढ़ : भगवान शिव को प्रशन्न करने के लिये भक्तों ने सूर्योदय के साथ शिवालयों और पीपल वृक्ष के नीचे लम्बी क़तार में पहुंच कर अपने अपने मान्यताओं से गन्ने के गेंडे, धतूर पात्र/फल/बीज,बेर,बेल पात्र अन्य पूजा समाग्री को लेकर परिक्रमा कर जलाभिषेक करती नजर आई ।
 बतादेंकि की भेड़िया संकट मोचन हनुमान सिद्धि मन्दिर की अपनी अलग गाथा रहा है कर्मयोगी सन्त ग्रामसेवक महराज द्वारा स्थापित यह मंदिर कई दशकों से प्राकृतिक शक्तियों का केंद्र है वैसे तो मौनी बाबा दुर्वासा के अधिकारी तौर पर यह मंदिर इस वक्त है परंतु इसके एक एक कण में ग्राम सेवक का पसीना मिलता है हालांकि किंविण्टुक कारणों की वजह से कई वर्षों से ग्राम सेवक जी अपने पैतृक गांव में रहते हैं वहा भी हनुमान मंदिर की स्थापना कर पूजा अर्चना करते हैं।सबसे बड़ी बात की आज भेड़िया का यह मंदिर कई कोशों तक अपनी तेज,ओज से प्रसिद्ध है सबसे बड़ी बात कुँवर नदी के किनारे स्थित यह मंदिर अपनी मान्यताओं में चार चांद लगा देता है।
 वही मकसुदिया का शिव मंदिर की अपनी अलग लीला है कहा जाता है कि भीषण जंगल मे शिवलिंग का मिलना और शिवलिंग का पाताल लोक की कथा का एक साक्ष्य है मकसुदिया का शिव मंदिर जहां पर भक्तों का सुबह से तांता लगा रहा।
सबसे बड़ी तपोभूमि आजमगढ़ धरती पर चंद्रमा ऋषि, दुर्वासा ऋषि, दत्तात्रेय का मंदिर पर दुनिया नतमस्तक है।


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