इतिहास के पन्नों में यादें..कल्याण सिंह जी की...... भाजपा को शून्य से शिखर तक पहुचाने वाले हिन्दू हृदय सम्राट उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह का निधन,सोमवार को होगा हिन्दू हृदय सम्राट का अंतिम संस्कार
लखनऊ : उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री व राजस्थान के राज्यपाल रहे कल्याण सिंह जी का 89 वर्ष की आयु में PGI में निधन, राम मंदिर आंदोलन के पुरोधा रहे कल्याण सिंह ने कहा था मंदिर बनता हुआ देखेने के बाद अब कोई इच्छा शेष नही है । पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह का निधन,लखनऊ के PGI अस्पताल में आज शाम अंतिम सांस ली,कल्याण सिंह के निधन से प्रदेश में शोक की लहर,89 साल की उम्र में कल्याण सिंह का निधन,PGI निदेशक आरके धीमान ने की पुष्टि,पीएम मोदी सीएम योगी,विनय कटियार ने जताया दुःख, पूर्व मुख्यमंत्री के निधन की खबर सुनते ही PGI पहुंचे मुख्यमंत्री योगी,23 अगस्त को हो होगा पूर्व मुख्यमंत्री का अंतिम संस्कार।एक बार फिर बतादें कि,उत्तर प्रदेश के पूर्व सीएम और राजस्थान के पूर्व राज्यपाल कल्याण सिंह का शनिवार को लखनऊ के संजय गांधी पोस्टग्रेजुएट इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (एसजीपीजीआई) में निधन हो गया। वो बीते चार जुलाई से अस्पताल में भर्ती थे। डॉक्टरों ने बताया क सेप्सिस और मल्टी ऑर्गन फेल्योर के कारण उनका निधन हुआ है। वे 89 वर्ष के थे। उनके निधन पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रदेश में तीन दिन के राजकीय शोक की घोषणा कर दिया है। बताया जा रहा है कि कल्याण सिंह का अंतिम संस्कार सोमवार को उनके गृहनगर में किया जायेगा। उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने आज ही अपना गोरखपुर दौरा रद्द करके उनका हालचाल लेने अस्पताल पहुंचे थे। अस्पताल ने बताया कि उन्हें क्रिटिकल केयर आईसीयू में रखा गया था। संस्थान के क्रिटिकल केयर, न्यूरोलॉजी, यूरोलॉजी, नेफ्रोलॉजी, इंडोक्राइनोलॉजी सहित विभिन्न विभागों के प्रोफेसरों की टीम उनके इलाज में लगी हुई थी। वह कई दिनों से वेंटिलेटर पर थे।बता दें कि बीते दो दिन से पूर्व मुख्यमंत्री की हालत ज्यादा गंभीर हो गई थी। ऐसे में शुक्रवार को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ देखने पहुंचे थे। उनकी हालत में किसी तरह का सुधार नहीं होने पर शनिवार शाम मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ फिर एसजीपीजीआई गए थे।कल्याण सिंह का जन्म पांच जनवरी 1932 को उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ जिले की अतरौली तहसील के मढ़ौली गांव में हुआ। उनकी पत्नी का नाम रामवती है। कल्याण सिंह के एक पुत्र एक पुत्री है। कल्य़ाण सिंह के पुत्र राजवीर सिंह राजू भैया भारतीय जनता पार्टी के एटा से सांसद हैं। कल्याण सिंह दो बार उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री रह चुके हैं। मौजूदा समय में वह राजस्थान के राज्यपाल थे औऱ हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल का चार्ज भी उन्हीं के पास थी। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री के तौर पर बाबरी मस्जिद विध्वंस में उनका कार्यकाल विवादास्पद रहा। कल्याण सिंह जून 1991 में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बने। बाबरी मस्जिद विध्वंस के बाद उन्होंने इसकी नैतिक जिम्मेदारी लेते हुये 6 दिसम्बर 1992 को मुख्यमंत्री पद से त्यागपत्र दे दिया। कल्याण सिंह सितम्बर 1997 से नवम्बर 1999 तक पुनः उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बने। कल्याण सिंह ने चार सितम्बर 2014 को राजस्थान के राज्यपाल पद की शपथ ली। उन्हें जनवरी 2015 में हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल का अतिरिक्त कार्यभार सौंपा गया। ‘हिंदू हृदय सम्राट’ के नाम से पहचाने जाने वाले कल्याण सिंह ही वह शख्स है, जिसने कभी भाजपा को उत्तरप्रदेश जैसे देश के सबसे बड़े राज्य में सत्ता के शीर्ष पर पहुँचाया .
Kalyan Singh Biography – दोस्तों आज के इस आर्टिकल में हम भारतीय जनता पार्टी के दिग्गज नेता और उत्तरप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह के बारे में बात करेंगे. कई लोगों के बीच ‘हिंदू हृदय सम्राट’ के नाम से पहचाने जाने वाले कल्याण सिंह ही वह शख्स है, जिसने कभी भाजपा को उत्तरप्रदेश जैसे देश के सबसे बड़े राज्य में सत्ता के शीर्ष पर पहुँचाया और खुद उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री बने. हालांकि बाद में बाबरी मस्जिद विध्वंस के कारण उन्हें सत्ता से हटा दिया गया.
बाबरी मस्जिद विध्वंस के कारण भले ही कल्याण सिंह का कार्यकाल विवादों में रहा हो और उनकी कुर्सी भी चली गई हो, लेकिन कई लोग उन्हें राम मंदिर के लिए अपनी सत्ता का त्याग करने वाले शख्स के रूप में भी देखते है. इसके अलावा कल्याण सिंह अक्सर अपने बयानों को लेकर भी सुर्खियां बटोर चुके हैं. इसके अलावा कल्याण सिंह राजस्थान और हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल रह चुके हैं.
● कल्याण सिंह का राजनीतिक सफ़र कैसा रहा? और साथ ही कल्याण सिंह के परिवार (kalyan singh family) के बारे में भी बात करेंगे. तो चलिए दोस्तों शुरू करते हैं कल्याण सिंह का जीवन परिचय.
● कल्याण सिंह जीवनी (Kalyan Singh Biography)
दोस्तों कल्याण सिंह का जन्म 5 जनवरी 1932 को उत्तरप्रदेश के अलीगढ़ में हुआ था. कल्याण सिंह के पिता का नाम तेजपाल सिंह लोधी है. कल्याण सिंह की माता का नाम सीता है. कल्याण सिंह की पत्नी (Kalyan Singh Wife) का नाम रामवती है. कल्याण सिंह के बेटे (kalyan singh son) का नाम राजवीर सिंह उर्फ़ राजू भैया है. वह एटा से भाजपा सांसद भी है. कल्याण सिंह की एक बेटी भी है जिनका नाम प्रभा वर्मा है.
● कल्याण सिंह का राजनीतिक करियर (Kalyan Singh Political Career)
कल्याण सिंह ने अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत भारतीय जनसंघ से की थी. कल्याण सिंह ने सबसे पहले साल 1962 में अलीगढ़ की अतरौली सीट से जनसंघ के टिकट पर विधानसभा चुनाव लड़ा, लेकिन वह चुनाव हार गए. इसके बाद 1967 में कल्याण सिंह ने एक बार फिर से अतरौली विधानसभा चुनाव लड़ा और जीत हासिल की. 1980 से 1985 को छोड़ दे तो कल्याण सिंह साल 2004 तक अतरौली से विधायक रहे. इस दौरान उन्होंने 8 बारविधायक का चुनाव जीता. 1980 में उन्हें कांग्रेस के टिकट पर अनवर खां ने हराया था.
● हिंदू हृदय सम्राट कल्याण सिंह
इमरजेंसी के बाद जब जनसंघ से भाजपा बनी और 1984 में विधानसभा चुनाव हुआ तो भाजपा बुरी तरह हार गई. भाजपा महज 2 सीटों पर सिमट गई. खुद अटल बिहारी वाजपेयी चुनाव हार गए. उस समय भाजपा को बनिया और ब्राह्मण पार्टी कहा जाता था. 90 के दशक में ही भाजपा और अन्य हिंदूवादी संगठनों ने अयोध्या राम मंदिर निर्माण के लिए आंदोलन शुरू किया और ब्राह्मण पार्टी की अपनी छवि सुधारने के लिए भाजपा ने पिछड़ों का चेहरा कल्याण सिंह को बनाया. उस समय कल्याण सिंह की छवि लोधी राजपूतों के मुखिया और हिंदू हृदय सम्राट की बन चुकी थी.
● बाबरी मस्जिद विध्वंस (Babri Masjid demolition)
राम मंदिर मुद्दे और कल्याण सिंह को आगे लाने का फायदा भाजपा को उत्तर प्रदेश में साल 1991 में हुए विधानसभा चुनावो में मिला. इन चुनावों में भाजपा को उत्तर प्रदेश में 221 सीटें मिली और देश के सबसे बड़े राज्य में अपनी सरकार बनाई. कल्याण सिंह उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री बने. हालांकि एक साल बाद ही 6 दिसंबर 1992 को अयोध्या में बाबरी मस्जिद गिरा दी गई. उस समय बाबरी मस्जिद की सुरक्षा का जिम्मा कल्याण सिंह सरकार पर था. बाबरी मस्जिद विध्वंस के कारण देश में अराजकता का माहौल बन गया. इसके बाद कल्याण सिंह ने इसकी नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए 6 दिसंबर, 1992 को ही मुख्यमंत्री पद से त्यागपत्र दे दिया, लेकिन दूसरे दिन केंद्र सरकार ने यूपी की बीजेपी सरकार को बर्खास्त कर दिया. कहा जाता है कि कल्याण सिंह को पहले ही पता था कि बाबरी मस्जिद विध्वंस के बाद उनकी कुर्सी जानी तय है.
●दोबारा बने मुख्यमंत्री
साल 1993 में उत्तरप्रदेश में फिर चुनाव हुए. इस चुनाव में भाजपा के वोट तो बढे, लेकिन सीटें घट गई और भाजपा सत्ता से बाहर हो गई. विधानसभा में कल्याण सिंह विपक्ष के नेता बने. साल 1997 के विधानसभा चुनाव में भाजपा को 173 सीटें हासिल हुई जबकि समाजवादी पार्टी को 108, बहुजन समाज पार्टी को 66 और कांग्रेस को 33 सीटें मिलीं. ऐसे में कोई एक दल अकेले सरकार नहीं बना सकता था. इसको देखते हुए भाजपा और बसपा के बीच गठबंधन हुआ और 6-6 महीने मुख्यमंत्री बनने पर सहमती बनी. इस तरह मायावती पहले छह महीने मुख्यमंत्री रही और फिर कल्याण सिंह वापस उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री बने.
●उत्तरप्रदेश की राजनीति का काला दौर
कल्याण सिंह ने मुख्यमंत्री बनने के बाद मायावती सरकार के कई फैसलों को पलट दिया, जिससे दोनों पार्टियों के बीच गहरे मतभेद उभर गए. ऐसे में मायावती ने कल्याण सिंह सरकार से अपना समर्थन वापस ले लिया और कल्याण सिंह सरकार अल्पमत में आ गई. इसके बाद राज्यपाल ने कल्याण सिंह को दो दिन के भीतर विधानसभा में अपना बहुमत साबित करने के लिए कहा. उस समय बसपा, कांग्रेस और जनता दल में भारी तोड़-फोड़ हुई और कई विधायक दल-बदलकर भाजपा में आ गए. विधानसभा अध्यक्ष भाजपा का था तो दल-बदलुओं पर कोई कार्रवाई भी नहीं हुई और कल्याण सिंह ने अपनी कुर्सी बचा ली. कल्याण सिंह ने दूसरी पार्टी से आए विधायकों को मंत्री बना दिया. उस दिन देश के इतिहास में पहली बार ऐसा हुआ था जब 93 मंत्रियों के मंत्रिमंडल को शपथ दिलाई गई.
●एक सचिवालय में दो मुख्यमंत्री
साल 1998 में राज्यपाल ने अचानक कल्याण सिंह सरकार को बर्खास्त करके जगदंबिका पाल को मुख्यमंत्री पद की शपथ दिला दी. जगदंबिका पाल, कल्याण सिंह सरकार में मंत्री थे, लेकिन उन्होंने दूसरी पार्टियों से खुफिया बात कर बगावत कर दी. इस फैसले के विरोध में भाजपा हाईकोर्ट चली गई. कोर्ट ने अगले दिन राज्यपाल के आदेश पर रोक लगा दी. उस दिन सचिवालय में दो मुख्यमंत्री बैठे थे. कोर्ट के आदेश से पहले जगदंबिका पाल सचिवालय जाकर मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठ गए. इसके बाद जब कोर्ट का फैसला आया तो कुर्सी छोड़कर चले गए और फिर कल्याण सिंह जाकर उस कुर्सी पर बैठे.
●कल्याण सिंह ने छोड़ी भाजपा
साल 1999 में कल्याण सिंह और अटल बिहारी वाजपेयी के बीच गहरे मतभेद हो गए, जिसके बाद कल्याण सिंह और भाजपा अलग गए. इसके बाद कल्याण सिंह ने अपनी खुद की पार्टी बनाई और उसका नाम रखा राष्ट्रीय क्रांति दल. नई पार्टी बनाने से कल्याण सिंह को तो कोई खास फायदा नहीं हुआ, लेकिन भाजपा को उत्तरप्रदेश में भारी नुकसान हुआ. इसके बाद साल 2004 में अटल बिहारी के कहने पर कल्याण सिंह वापस भाजपा में शामिल हो गए. साल 2007 में भाजपा ने एक बार फिर से कल्याण सिंह को मुख्यमंत्री पद का चेहरा बनाकर चुनाव लड़ा, लेकिन भाजपा सत्ता तक नहीं पहुँच सकी. इसके बाद कल्याण सिंह साल 2009 में एक बार फिर भाजपा से अलग हो गए और एटा लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र से सांसद बने.
●हिमाचल प्रदेश और राजस्थान के राज्यपाल
साल 2013 में कल्याण सिंह एक बार फिर से भाजपा में शामिल हुए. केंद्र में मोदी सरकार आने के बाद 26 अगस्त 2014 को कल्याण सिंह को राजस्थान का राज्यपाल बनाया गया. इसके बाद जनवरी 2015 में कल्याण सिंह को हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल का अतिरिक्त कार्यभार दिया गया.
●कल्याण सिंह का निधन (Kalyan singh deatn)
21 अगस्त 2021 को लंबी बीमारी के बाद कल्याण सिंह का निधन हो गया।
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