Education world / शिक्षा जगत

इंटरमीडिएट के बाद डी.एल.एड करने वालों को इलाहाबाद हाई कोर्ट से बड़ी राहत

प्रयागराज : इलाहाबाद हाई कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण आदेश में कहा है कि इस आधार पर नियुक्ति से इनकार करना कि उम्मीदवार ने इंटरमीडिएट के बाद डी.ई.एल.एड किया है, ना कि स्नातक के बाद, प्रथम दृष्टया अवैध है।

पृष्ठभूमि:
सहायक शिक्षक के पद के लिए 69000 रिक्तियों में चयनित याचिकाकर्ता पूजा तिवारी ने सर्कुलर दिनांक 18.1.2020 के खंड 23, को चुनौती देते हुए इलाहाबाद उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया, जिसमें यह कहा गया था कि केवल स्नातक के बाद प्राप्त प्रशिक्षण (D.EL.Ed.) योग्यता को मान्यता दी जाएगी।
हालांकि, इस मामले में पूजा ने अपना डिप्लोमा इन एलीमेंट्री एजुकेशन (D.EL.Ed.) इंटर के बाद किया था न कि ग्रेजुएशन के बाद।

बहस
याचिकाकर्ता के पक्षकार अधिवक्ता का कहना था कि याची ने 69 हजार सहायक अध्यापक भर्ती के लिए आवेदन किया था। इसमें उसका अंतिम रूप से चयन हो गया। उसे मैनपुरी जनपद में नियुक्ति भी मिल गई,किंतु विद्यालय का आवंटन नही किया गया।
याची ने 12वी के उपरांत डिप्लोमा में एलिमेंट्री एजुकेशन (D.El.Ed) में ट्रैनिंग प्राप्त की है। महानिदेशक स्कूल शिक्षा ने 18 जनवरी 2021 को सर्कुलर जारी कर कहा है कि जिन अभ्यर्थियों ने इंटरमीडिएट के पश्चात डायरेक्ट शिक्षण ट्रेनिंग की डिग्री या डिप्लोमा प्राप्त किया है, वह नियुक्ति के लिए अयोग्य माने जाएंगे। इसी सर्कुलर को याचिका में चुनौती दी गई है।

कोर्ट के समक्ष बहस के दौरान कहा गया कि एनसीटीई की 28 नवंबर 2014 के रेग्युलेशन में स्पष्ट है कि 50 फ़ीसदी अंक के साथ इंटरमीडिएट के परीक्षा पास करने के उपरांत शिक्षक प्रशिक्षण लेने वाले सहायक अध्यापक पद पर नियुक्ति के लिए अहर माने जाएंगे

निर्णय
इलाहाबाद उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति जे जे मुनीर ने तर्कों पर विचार करने और राज्य सरकार को कई अवसर देने के बाद कहा कि एनसीटीई के नियम प्राथमिक शिक्षा में डिप्लोमा की परिकल्पना करते हैं और राष्ट्रीय शिक्षक शिक्षा परिषद (मान्यता मानदंड और प्रक्रिया) विनियम, 2014 नामक एनसीटीई नियम के अनुसार डी.एल.एड में प्रवेश के लिए उच्चतर माध्यमिक में 50% अंक या इसके समकक्ष परीक्षा पास होनी चाहिए और इसीलिए डिप्लोमा में प्रवेश स्नातक पर आधारित नहीं है।

याचिकाकर्ता को पहले ही 5 दिसंबर, 2020 के आदेश के तहत सहायक शिक्षक के पद पर नियुक्त किया जा चुका है। उक्त आदेश बेसिक शिक्षा अधिकारी, मैनपुरी द्वारा जारी किया गया है। कोर्ट ने पाया कि प्रथम दृष्टया परिपत्र दिनांक 18.01.2021 का खंड 23 विधि विरुद्ध प्रतीत होता है।

नतीजतन, न्यायालय ने अंतरिम रहत के रूप में निर्देश दिया है कि अगले आदेश तक, परिपत्र दिनांक 18.01.2021 के केवल खंड 23 को स्टे किया जाता है और याचिकाकर्ता को तुरंत एक स्कूल आवंटित किया जाएगा, उसे अपने नियमित तौर पर कर्तव्यों का निर्वहन करने और वेतन का भुगतान करने की अनुमति दी जाएगी।


Leave a comment

Educations

Sports

Entertainment

Lucknow

Azamgarh