Latest News / ताज़ातरीन खबरें

सांझ भइल घर लौटल गोरी नाहिं बिकाइल गेहूं रे....कइसे मोर कन्हैया जीहें ,कल्हियों भइल उपास ...

●सांझ भइल घर लौटल गोरी नाहिं बिकाइल गेहूं रे।
●कइसे मोर कन्हैया जीहें ,कल्हियों भइल उपास रे।
●सरकार की घोषणा के बावजूद नही खुली वेबसाइट, किसान परेशान हाल

मऊ। किसानों के गेहूं की सरकारी खरीद नही होने से किसानों में रोष के साथ साथ चिंता भी बनी हुई है।गेहूं खरीदने का अंतिम समय १५ जून था, जिसे बढ़ाकर सरकार ने २२ जून किया।गेहूं क्रय केंद्रों पर किसान ट्राली लगाकर बेबसाइट खुलने का इंतज़ार करता रहा ,लेकिन अधिकारियों के आस्वासन के बाद भी मार्केटिंग और सहकारिता की साइड नहीं खुली। यह ज्वलंत शिकायत प्रमुख समाज सेवी निसार अहमद के हैं। उनका कहना है कि किसान इस बरसात के मौसम में अपना अनाज लेकर कहां जाए।बाजारों में उचित मूल्य देने के लिए ग्राहक नहीं मिल रहे हैं ,धान की बुआई का समय चल रहा है। ऐसी परिस्थितियो में किसान के समक्ष खाद , बीज ,जुताई ,डीजल आदि क्रय करने के पैसे नहीं हैं।
मन में टीस है ,बच्चों की फीस भरने की ,दवाई,घर खर्च चलाने के लिए तेल और मसाले कहां से और कैसे खरीदें।
आज किसान के दर्द को कोई सुनने वाला नहीं है।किसान खरीदारी न होने से क्रय केंद्रों पर से अपने कुछ नीजी तथा अधिकतर भाड़े के ट्रालियों को लेकर वापस घर जा रहे हैं ,उनके आंखों का आंसू थमने का नाम नहीं ले रहा है।
ऐसे में मुझे "स्वर्गीय जयश्री यादव" जो लोकप्रिय लोकगीत गायक थे उनकी कुछ पंक्तियां याद आ रही है।
सांझ भइल घर लौटल गोरी नाहिं बिकाइल घास रे।
कइसे मोर कन्हैया जीहें ,कल्हियों भइल उपास रे।।


Leave a comment

Educations

Sports

Entertainment

Lucknow

Azamgarh