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बसपा को झटका, पूर्वांचल के बड़े नेता सपा में शामिल

लखनऊ : विधानसभा चुनाव से पहले उत्तर प्रदेश की राजनीति में गर्मागर्मी का माहौल चल रहा है। जहां भारतीय जनता पार्टी ने शनिवार की दोपहर अपने संगठन में फेरबदल करते हुए अरविंद कुमार शर्मा को प्रदेश उपाध्यक्ष नियुक्त किया है। दूसरी ओर समाजवादी पार्टी ने बहुजन समाज पार्टी को एक और तगड़ा झटका दिया है। जिला पंचायत चुनाव के मद्देनजर बसपा ने पूर्वांचल के बड़े नेता अंबिका चौधरी को तोड़ लिया है। शनिवार को अंबिका चौधरी अपने पूरे दलबल के साथ समाजवादी पार्टी में शामिल हो गए हैं।

वरिष्ठ नेता अम्बिका चौधरी ने बसपा से इस्तीफा दे दिया है। पूर्वांचल के दमदार नेताओ में अम्बिका चौधरी शामिल हैं। अम्बिका चौधरी पूर्व की बसपा सरकारों में मंत्री रह चुके हैं। शनिवार को समाजवादी पार्टी ने अम्बिका चौधरी के बेटे आनंद चौधरी को जिला पंचायत अध्यक्ष का उम्मीदवार घोषित किया है। जिसके बाद अम्बिका चौधरी ने बीएसपी से इस्तीफा दे दिया है।

आपको बता दें कि उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री और बहुजन समाज पार्टी की मुखिया मायावती का कुनबा बिखर रहा है। एक बार फिर बसपा बड़ी टूट के कगार पर है। मंगलवार को भी बागी विधायकों ने समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव से मुलाकात की थी। इसके साथ ही विधानसभा चुनाव से पहले यूपी की राजनीति में बड़ी हलचल शुरू हो गई है। यह भी हो सकता है कि आने वाले कुछ दिनों में बहुजन समाज पार्टी से विधायकों और दूसरे नेताओं का बड़ा धड़ा टूटकर नई पार्टी का गठन कर ले। अगर ऐसा हुआ तो बहुजन समाज पार्टी अपने इतिहास में तीसरी बार टूटेगी।

खास बात यह है कि 2017 के विधानसभा चुनाव में बसपा ने केवल 19 सीटें जीती थीं। इनमें से एक सीट पर पार्टी उप चुनाव हार गई। पिछले साल तक मायावती के पास यूपी में 18 विधायक थे। इनमें से 7 विधायकों को राज्यसभा चुनाव के दौरान पार्टी विरोधी गतिविधियों में शामिल मानते हुए निकाल दिया गया था। श्रावस्ती जिले की भिनगा सीट से विधायक असलम राइनी, प्रयागराज की प्रतापपुर सीट से विधायक मुजतबा सिद्दीकी, हंडिया के विधायक हाकिम लाल बिंद, सीतापुर जिले की सिधौली सीट से विधायक हरगोविंद भार्गव, हापुड़ की धौलाना सीट से विधायक असलम अली चौधरी और मुंगरा बादशाहपुर की विधायक सुषमा पटेल बागी होकर सपा के खेमे में चली गई थीं।

इसके बाद बसपा के पुराने नेता और सादाबाद से विधायक रामवीर उपाध्याय को मायावती ने बाहर का रास्ता दिखा दिया। उनके साथ आजमगढ़ जिले की सगरी सीट से विधायक बंदना सिंह को भी पार्टी से निकाल दिया गया। इस तरह बसपा के बागी विधायकों की संख्या बढ़कर 9 तक पहुंच गई। अब पिछले सप्ताह दो और विधायकों राम अचल राजभर और लालजी वर्मा भी पार्टी से बाहर कर दिया गया है। कुल मिलाकर बसपा के 18 में से 11 विधायक पार्टी से निकले जा चुके हैं। अब अगर एक और विधायक इनके साथ आ जाता है तो सभी दल बदल कानून से बाहर हो जाएंगे। ऐसी स्थिति में बसपा से टूटकर यह सारे लोग नई पार्टी बना सकते हैं।
यह पहला मौका नहीं है जब बीएसपी में विधायकों की बगावत हुई है। वर्ष 1995 में पार्टी के संस्थापक सदस्यों में से एक राजबहादुर ने बीएसपी के 20 विधायकों को तोड़कर अपनी नई पार्टी बनाई थी। कांशीराम के जमाने में बसपा की नींव रखने वालों में शामिल रहे मसूद अहमद, आरके चौधरी, शाकिर अली, राशिद अल्वी, जंग बहादुर पटेल, बरखू राम वर्मा, सोने लाल पटेल, राम लखन वर्मा, भगवत पाल, राजाराम पाल, राम खेलावन पासी, कालीचरण सोनकर और नसीमुद्दीन सिद्दिकी समेत ऐसे नेताओं की लम्बी फेहरिस्त है, जिन्हें बीएसपी से बाहर का रास्ता दिखाया गया है।

ताजा घटनाक्रम ने 17 साल पुरानी वर्ष 2004 की यादें ताजा कर दी हैं, जब सपा सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव ने कम विधायक होने के बावजूद बसपा के 13 विधायक तोड़े थे और भाजपा के परोक्ष समर्थन से सरकार बना ली थी। वह मामला हाईकोर्ट होते हुए सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा और आखिरकार बसपा के विधायकों की सदस्यता रद हुई थी, लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी।

बसपा के बागी विधायक असलम राइनी ने कहा, हम सारे विधायक मिलकर नई पार्टी बनाएंगे। लालजी वर्मा नई पार्टी के नेता होंगे। नई पार्टी बनाने के लिए 12 विधायकों की जरूरत है। फिलहाल 11 विधायकों का साथ मिल चुका है। कई और विधायक हमारे साथ आने के लिए तैयार हैं। बहुत जल्दी नई पार्टी का ऐलान कर दिया जाएगा। हालांकि, जब लालजी वर्मा से इस मुद्दे पर बात की तो उन्होंने नई पार्टी के गठन से तो इंकार किया लेकिन दूसरी पार्टियों से बातचीत पर कोई साफ जवाब नहीं दिया।


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