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राणा प्रताप पीजी कॉलेज में स्वतंत्रता के 75 वर्ष और हिंदी विषय पर हुई संगोष्ठी

सुल्तानपुर ।संस्कृतियाँ अपने आपको भाषा के माध्यम से व्यक्त करती है- राधेश्याम सिंह
"भाषा सिर्फ संप्रेषण का माध्यम नहीं हमारी राष्ट्रीय और सांस्कृतिक चेतना की वाहक भी होती है। किसी भी देश और समाज के चेहरे को उसकी भाषा के आईने में पहचाना जा सकता है।" ये बातें राणा प्रताप स्नातकोत्तर महाविद्यालय सुल्तानपुर में 'स्वतंत्रता के 75 वर्ष और हिंदी' विषय पर आयोजित संगोष्ठी में के एन आई के पूर्व प्राचार्य प्रो राधेश्याम सिंह ने कही। हिंदी दिवस पर आयोजित इस कार्यक्रम में उन्होंने कहा कि कोई भी भाषा छोटी या बड़ी नहीं होती। हिंदी की समृद्धि के लिए यह जरूरी है कि हम इसकी अंतर्वस्तु को विस्तार दें। भाषाई अस्मिता के आधार पर राज्यों के निर्माण को उन्होंने एक ऐतिहासिक भूल बताया। इस अवसर पर हिंदी विभागाध्यक्ष इंद्रमणि कुमार ने कहा कि बाजार और मीडिया के कारण हिंदी को विस्तार जरूर मिला लेकिन हमारी भाषिक संस्कृति को इसने क्षतिग्रस्त किया है। कार्यक्रम में उप प्राचार्य डॉ निशा सिंह एवं एसोसिएट प्रोफेसर रंजना पटेल ने भी अपने विचार रखे। वैभव, बॉबी, कोमल मौर्य, श्वेता मिश्रा एवं अन्य छात्र-छात्राओं ने अपने कार्यक्रम प्रस्तुत किए। 
 संचालन डॉक्टर विभा सिंह एवं धन्यवाद ज्ञापन पूर्व प्राचार्य तथा मुख्य अनुशास्ता डॉ एम पी सिंह बिसेन ने किया। इस अवसर पर डॉ शैलेंद्र प्रताप सिंह डॉ धीरेंद्र कुमार डॉ अभय सिंह डॉ आलोक पांडे डॉ भारती सिंह डॉ नीतू सिंह डॉ बीना सिंह डॉ कल्पना सिंह श्रीमती ज्योति सक्सेना डॉ शिल्पी सिंह आदि प्राध्यापक एवं छात्र-छात्राएं उपस्थित थे।


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