Religion and Culture / धर्म और संस्कार

माघी चतुर्थी पर घर-घर पूजे गए विघ्न विनाशक गणपति

आजमगढ़। सनातन धर्म के अनुसार माघ माह की पहली संकष्ठी चतुर्थी यानि गणेश चौथ के अवसर पर देश के पौराणिक गणेश मंदिरों में शुमार शहर के मातबरगंज स्थित बड़ा गणेश मंदिर पर शुक्रवार की सुबह से ही भक्तों का रेला उमड़ पड़ा। इस मौके पर आकर्षक ढंग से सजाए गए गणेश मंदिर पर पूजा-अर्चना के लिए लोग सुबह से ही कतार में लग गए। गणपति दरबार में व्रती महिलाओं का भी सुबह से आना-जाना लगा रहा,जो देर रात तक जारी रहा। मंदिर के बाहर पूजन सामग्री की दुकानों पर श्रद्धालुओं की भीड़ लगी हुई थी। मंदिर व आसपास के इलाके में सुरक्षा के व्यापक बंदोबस्त किए गए थे। इस बार कोविड गाइडलाइन के चलते मंदिर में इस बार मात्र दर्शन-पूजन व प्रसाद की व्यवस्था की गई थी। कोई विशेष आयोजन नहीं किया गया था।
इस मौके पर पूजन के लिए मंदिर पर पहुंची व्रती महिलाओं ने बताया कि पुत्र के दिर्घायु व परिवार की सुख-समृद्धि के लिए महिलाएं पूरा दिन निर्जला व्रत रखती हैं। शाम को चंद्रमा का दर्शन कर पूजन कर बूंदी का लड्डू, काला तिल का लड्डू, शकरकंद आदि से बने पकवान प्रथम देव गणेश को अर्पित किया जाता है। सनातन धर्म में प्रथम देव का दर्जा पाने वाले भगवान गणेश ३३ कोटि देवी-देवताओं का प्रतिनिधित्व करने वाले माने जाते हैं। माघ माह की गणेश चतुर्थी पर उनके पूजन का विशेष महत्व है। आजमगढ़ शहर के रामघाट पर जहां पर कई वर्ष पूर्व तमसा नदी बहती है, वहीं पर गणेश भगवान का मंदिर स्थित है। मंदिर को सिद्धपीठ के रूप में मान्यता मिली है। पौराणिक रूप से मान्यता है कि अयोध्या से वनवास को निकले भगवान राम ने यहीं पर तमसा नदी के किनारे डेरा डाला था।


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