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प्रधानमंत्री की सुरक्षा में भारी चूक के बाद की बड़ी अपडेट

पंजाब : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सुरक्षा में हुई चूक का मामला और गंभीर रूप धारण करता जा रहा है. केंद्रीय गृह मंत्रालय ने इस बाबत पंजाब प्रशासन से रिपोर्ट मांगी थी लेकिन पंजाब प्रशासन ने इस चूक की बाबत एक हाई कमेटी का गठन कर दिया है और माना जा रहा है कि पंजाब अपनी विस्तृत रिपोर्ट इस जांच रिपोर्ट के आने के बाद ही भेजेगा. चरणजीत चन्नी ने पीएम की जान को खतरा नहीं होने का दावा किया, कहा- पंजाब को बदनाम किया जा रहा है,मंत्रालय के एक आला अधिकारी ने इस संबंध में बताया कि पंजाब सरकार से अभी कोई रिपोर्ट नहीं आई है. इस बदलते घटनाक्रम के बीच प्रधानमंत्री सुरक्षा में तैनात एसपीजी और केंद्रीय खुफिया एजेंसी आईबी मुख्यालय ने भी घटना की आंतरिक जांच के निर्देश देते हुए पूरे घटनाक्रम पर रिपोर्ट तलब की है.
सूत्रों ने बताया कि जांच के दौरान दोनों एजेंसियां अपने अपने अधिकार क्षेत्र में कब कैसे और क्या घटित हुआ इसकी समीक्षा करेगी और अपनी रिपोर्ट अपने विभाग प्रमुखों को सौंपेगी. माना जा रहा है कि दोनों विभाग प्रमुख यह रिपोर्ट केंद्रीय गृह मंत्रालय को सौंप सकते हैं. सूत्रों के मुताबिक गृह मंत्रालय पंजाब समेत सभी रिपोर्टों के आकलन के बाद अपना निर्णय लेगा.
जांच के दौरान एजेंसियां इन बातों पर नजर रखेगी
- प्रधानमंत्री की सड़क यात्रा के दौरान एसपीजी के नियमों का पालन हुआ था या नहीं
- आईबी ने क्या रिपोर्ट दी थी और पंजाब पुलिस ने क्या रिपोर्ट दी थी
- प्रधानमंत्री की सड़क यात्रा शुरू होने से लेकर उनके पुल पर फंसने तक एसपीजी, स्थानीय पुलिस और आईबी के बीच क्या-क्या बातचीत हुई थी
-वायरलेस की लॉगबुक मे क्या लिखा गया है
- प्रधानमंत्री की सुरक्षा मे तैनात एसपीजी को फंसने का पता कब चला
- प्रभारी कंमाडर को क्या जानकारी थी और उसने क्या निर्देश दिए थे
- आईबी की स्थानीय यूनिट की इस बाबत क्या रिपोर्ट थी
सूत्रों के मुताबिक इस आंतरिक जांच का मकसद किसी को नुकसान पहुंचाना नहीं है. बल्कि इसका मकसद प्रधानमंत्री की सुरक्षा में यह चूक क्यों हुई और इसे कैसे सुधारा जा सकता है, जिससे भविष्य में ऐसी चूक दोबारा ना हो. सूत्रों का कहना है कि इस जांच रिपोर्ट के बाद प्रधानमंत्री की सुरक्षा नियमों में कुछ अहम परिवर्तन किए जा सकते हैं.
प्रधानमंत्री (Prime Minister) की सुरक्षा (Security) की चूक मामले में 16 पूर्व डीजीपी (DGP) सहित 27 आईपीएस (IPS) अफ़सरों ने राष्ट्रपति (President) को चिट्ठी लिखी है. पत्र में प्रधानमंत्री के दौरे के दौरान पंजाब (Punjab) में तथाकथित प्रदर्शनकारियों के साथ मिलकर पंजाब सरकार द्वारा जानबूझकर और योजनाबद्ध सुरक्षा चूक की तत्काल कार्रवाई करने का अनुरोध किया है. इस सूची में पंजाब के दो पूर्व डीजीपी पीसी डोगरा और एपी पांडेय सहित कुल 16 डीजीपी शामिल हैं. सख़्त करवाई की मांग करते हुए चिट्ठी की कॉपी सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के चीफ जस्टिस (CJI) को भी भेजी गई है.
आपको बता दें कि प्रधानमंत्री की सुरक्षा में भारी चूक देखने को मिली. प्रधानमंत्री को फ़िरोज़पुर के रास्ते में शहीद स्मारक जाते वक्त प्यारेआना गांव में 20 मिनट तक इंतज़ार करने के बाद वापस लौटना पड़ा. पीएम ने वापस आते वक्त भटिंडा एयरपोर्ट पर अधिकारियों से कहा था, ''अपने मुख्यमंत्री को धन्यवाद कहना, कि मैं ज़िंदा भटिंडा लौट आया.'
पूर्व आईपीएस अधिकारियों ने ख़त में लिखा है कि मीडिया रिपोर्टों से साफ पता चलता है कि यह न केवल राज्य सरकार द्वारा प्रदर्शित एक बड़ी लापरवाही है, बल्कि राज्य के पदाधिकारियों की स्पष्ट भागीदारी प्रतीत होती है. इसी के परिणामस्वरूप सुरक्षा उल्लंघन की यह भयावह घटना हुई है. जिन्हें प्रधानमंत्री की यात्रा के लिए सुरक्षा समन्वय में नियोजित किया गया था वे राज्य के वैकल्पिक मार्गों से अच्छी तरह वाकिफ थे.
आगे ख़त में पूर्व अधिकारी लिखते हैं कि हम आपसे इसलिए संपर्क कर रहे हैं कि इस देश के इतिहास में ऐसा कभी नहीं हुआ. पत्र में लिखा गया है कि राज्य की एजेंसियां ​​बहाना बना रही हों और मुख्यमंत्री के स्तर पर भी प्रधानमंत्री के मार्ग को लेकर विरोधाभासी बयानबाजी हो रही हो जिसे तथाकथित प्रदर्शनकारियों ने ब्लॉक कर दिया था. यदि यह समझ में नहीं आता है कि प्रदर्शनकारियों को मार्ग के बारे में कैसे पता था, जिसकी जानकारी केवल राज्य पुलिस अधिकारियों और दूसरों को तभी पता होती है जब तथाकथित के साथ साझा की जाती है.
आईपीएस अधिकारियों ने चिट्ठी में न्यूज़ की क्लिप का भी हवाला दिया है. ख़त में लिखते हुए पूर्व आईपीएस अधिकारियों ने लिखा है कि टेलीविजन चैनलों और प्रिंट मीडिया में वीडियो स्पष्ट रूप से दिखाते हैं कि कोई भी वरिष्ठ पुलिस अधिकारी मौके पर मौजूद नहीं था, बल्कि आश्चर्यजनक रूप से पुलिस अधिकारी तथाकथित प्रदर्शनकारियों को हटाने के प्रयास करने के बजाय केवल चाय का आनंद ले रहे थे, जो उनके इरादों को साफ़ साफ़ बता देता है.
पत्र में यह भी लिखा गया है कि जब पीएम का क़ाफ़िला खुली सड़क पर प्रदर्शनकरियों के आगे बेबस था तब वहां स्थानीय पुलिस और प्रदर्शनकारी के बीच दोस्ताना माहौल चला रहा था. पुलिसकर्मी वहां प्रदर्शनकारियों की चाय पी रहे थे. उनकी दिलचस्पी क़तई रूट साफ़ कराने में नहीं थी. ऐसे में कोई भी मौक़े का लाभ उठा कर पीएम की जान के लिए ख़तरा पैदा कर सकता था.
आपको बता दें कि दुनिया भर की सुरक्षा एजेंसियां मानती है कि प्रधानमंत्री मोदी दुनिया में सबसे ज़्यादा ख़तरे में जीने वाले राजनेता हैं. जहां ये घटना हुई वो जगह पाकिस्तान सीमा से मात्र 15 किलोमीटर की दूरी पर है और पाकिस्तान की नज़र सदा इस सीमाई राज्य पर आतंक फ़ैलाने में लगी रहती है.
ख़त में आगे लिखा है कि पंजाब में चुनाव होने जा रहे हैं और ऐसे में वहां कई राजनीतिक दलों के नेताओं का आना-जाना रहेगा, सभी की सुरक्षा करना राज्य की मशीनरी की ज़िम्मेदारी है. राज्य में सुरक्षा के माहौल में चुनाव हो इसलिए कड़ी करवाई की जाए.


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