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नुरुल हुदा को मिली उच्च न्यायालय से राहत, पर क्या विभागीय जांचों से हो पाएंगे बरी

बलिया  माननीय उच्च न्यायालय प्रयागराज ने नुरुल हुदा जिला समन्वयक(सामुदायिक सहभागिता) बलिया की याचिका पर इनको जिला समन्वयक के पद से हटाये जाने के निदेशक सर्व शिक्षा अभियान लखनऊ के  आदेश दिनांक 27 नवम्बर 2011 को निरस्त करते हुए पुनः बहाल करने का आदेश दिया है । यह आदेश कोर्ट ने इस अपील के बाद दिया है कि उनको न तो नोटिस दी, गयी न ही उनको सुना गया, जो नैसर्गिक न्याय के सिद्धांत के खिलाफ है । माननीय न्यायालय ने अधिकारियों को निर्देशित किया है कि इनका पिछला बकाया अगर हो, तो उसका भुगतान करते हुए इनके ऊपर अगर राजनैतिक कार्यकर्ता द्वारा शिकायत दर्ज करायी जाती है तो उसके बाद याचिका कर्ता को पुनः नोटिस जारी कर के याचिकाकर्ता का जबाब लेकर सुनवाई करे । अब यह आदेश निदेशक सर्व शिक्षा अभियान लखनऊ के पाले में पहुंच गया है । सूत्रों की माने तो आदेश की कापी लेकर याचिकाकर्ता जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी कार्यालय आये थे, जहां से कहा गया कि चूंकि आपके खिलाफ निदेशक के यहां से आदेश जारी हुआ था,इस लिये वही से आदेश लेकर आये । बता दे कि माननीय उच्च न्यायालय ने भी निदेशक को ही आदेशित किया है क्योकि आदेश निदेशक ने ही जारी किया था ।निदेशक के आदेश के बाद बीएसए को जॉइन कराना मजबूरी हो जाएगी ।
क्यो आना चाहते है बेसिक कार्यालय नुरुल हुदा
बता दे कि नुरुल हुदा मूल रूप से राजकीय इंटर कालेज बलिया के सहायक उर्दू अध्यापक है । जिला समन्वयक (सामुदायिक सहभागिता ) के पद पर इनको डेपुटेशन पर रखा गया है । इनका काम प्राथमिक विद्यालयों में अभिभावकों और अध्यापकों की विद्यालय संचालन प्रबंध समिति बनाने,स्कूल चलो अभियान के लिये रैलियां निकालने आदि का है ।
लेकिन इनके खिलाफ रसड़ा के एक अल्पसंख्यक समुदाय के ही व्यक्ति ने ड्रेस घोटाले की शिकायत निदेशक के यहां की हुई है, जिसकी जांच चल रही है । यही नही स्कूल चलो अभियान के लिये गाड़ियों के टेंडर में भी अनियमितता की शिकायत के बाद जांच चल रही है । साथ ही तत्कालीन बीएसए शिवनारायण सिंह और नुरुल हुदा के खिलाफ शिक्षक संगठनों व अन्य शिकायतकर्ताओं की शिकायत पर जांच चल रही है । सभी शिकायतकर्ताओं ने शपथपत्र देकर शिकायत की है।
ऐसे में अपने खिलाफ चल रही तमाम शिकायतों को गोपन करके माननीय उच्च न्यायालय से मात्र राजनीतिक कार्यकर्ता की शिकायत दर्शाकर बहाली का आदेश लेना भी,सत्य को छुपाने की श्रेणी का ही है । अब देखना है कि नुरुल हुदा के खिलाफ चल रही जांच में ये दोषी साबित होते है या निर्दोष, यह आने वाला कल बतायेगा ।


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